Fact of life!

एवरीथिंग इज प्री-रिटन’ इन लाईफ़ (जिन्दगी मे सब कुछ पह्ले से ही तय होता है)।
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Sunday, December 5, 2010

0 पारे से बढ़ती समलैंगिकता

 पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले तत्वों की वजह से सफेद सारस समलैंगिक हो सकते हैं. एक प्रयोग में पक्षियों के झुंडों को पारे के नजदीक रखा गया. इससे पता चला कि ज्यादातर नर पक्षियों के बीच ही मिलन हो रहा है.

इस प्रयोग से पता चला कि पूरे झुंड की वृद्धि पर भारी असर पड़ा क्योंकि समलैंगिक जोड़ों की वजह से कोई अंडे नहीं बन रहे थे. साथ ही जो सामान्य जोड़े थे, वे भी कम अंडे बना सके और अपने बच्चों की देखभाल भी ठीक से नहीं कर पाए.
फ्लोरिडा की गेंसविल विश्वविद्यालय के प्रयोग में रिसर्च करने वाले पीटर फ्रैंडरिक और निमिनी जयसेना ने तीन साल तक इन सारसों पर प्रयोग किए. सारसों को पकड़ कर एक बड़ी बंद जगह में रखा गया और उन्हें पारा मिश्रित खाना दिया गया. लेकिन पारे की मात्रा उतनी ही रखी गई जो कई जगह सामान्य तौर पर पाई जाती है. इन प्रयोगों के लिए सारसों के तीन झुंड़ बनाए गए जबकि चौथे चौथे झुंड़ को बिना किसी मिलावट के सामान्य खाना दिया गया. चौथे झुंड में खास तौर से देखा गया कि कोई पक्षी समलैंगिक नहीं है जबकि पहले तीन झुंड़ों में 55 प्रतिशत जोड़े समलैंगिक हो गए.
प्रयोग में यह भी देखने को मिला कि जब पक्षी मिलन के लिए अपने साथियों के चुन रहे थे, तो उनका व्यवहार पूरी तरह बदल गया. खास कर बहुत सी मादा सारसें नर सारसों के पास गई ही नहीं, क्योंकि उन्हें किसी तरह का आकर्षण महसूस नहीं हुआ. असल में मिलन के लिए मादा पक्षी उसी नर पक्षी की तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं जो खुद को आक्रामक तरीके से पेश करता है. लेकिन शुरुआती तीन झुड़ों के बहुत से नर पक्षियों में वह आक्रामकता खत्म हो गई.
औद्योगिकीकरण के कारण मछलियों में पारे की मात्रा बढ़ रही है जो खासी चिंताजनक बात है. असल में मछलियां खाद्य श्रंखला की अहम कड़ी हैं जिन्हें सारस जैसे पक्षियों के अलावा मनुष्य भी खाते हैं. पारे की वजह से नाड़ी तंत्र और हार्मोंस के संतुलन को नुकसान होता है. यदि प्रकृति में पारे की मात्रा बढ़ती गई, तो कई प्रजातियों और अंततः मनुष्य के अस्तित्व पर भी सवल खड़े होने लगेंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/प्रिया एसेलबोर्न अपनी बहुमूल्य टिपण्णी देना न भूले- धन्यवाद



Thursday, December 2, 2010

2 ट्विटर हैंडलर

 एक गृहणी का ट्विटर हैंडलर मात्र अपने नाम की वजह से इतना लोकप्रिय हो गया कि अब यह गृहणी इसका व्यवसायिक इस्तेमाल कर कमाई करने का इरादा बना रही हैं और उसे सफलता भी मिल रही है.

अमेरिका की एक गृहणी का ट्विटर हैंडलर है@theashes. वह स्वेटर बुनने से संबंधित तथा कुछ निजी ट्विट किया करती थी. परंतु जैसे ही ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच प्रसिद्ध एशेज़ शृंखला शुरू हुई, इस हैंडलर की लोकप्रियता भी बढने लगी.

लोगों को लगा कि यह एशेज़ शृंखला का आधिकारिक ट्विटर हैंडलर है और लोग संदेश भेजने लगे की स्कोर क्या हुआ है बताओ? इससे परेशान इस गृहणी ने ट्विट करी कि - मुझे क्रिकेट में कोई दिलचस्पी नहीं है और ना ही एशेज़ शृंखला में. कृपया संदेशों का अम्बार लगाने से पहले प्रोफाइल तो देख लो.

लोगों ने उनकी इस ट्विट को रीट्विट करना शुरू किया और धीरे धीरे उनके फोलोअर बढने लगे. अब यह गृहणी किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं है. उन्होनें ओनलाइन टीशर्ट बेचने के लिए साइट भी शुरू कर ली है जो उनके इस ट्विट की प्रिंट के साथ बिक्री के लिए उपलब्ध है.

इसे कहते हैं भाग्य और मौके का मेल


Courtesy : Tarkash अपनी बहुमूल्य टिपण्णी देना न भूले- धन्यवाद 


Tuesday, November 30, 2010

1 क्‍या आप फ्लैक्‍सीसेक्‍सुअल है ?

दुनिया की मशहूर सेलीब्रिटी ब्रिटनी स्पीयर्स और मैडोना का किस देखकर पूरी दुनिया स्‍तब्‍ध रह गई थी, क्‍योंकि यह मात्र विश करने के लिए नहीं किया गया था। सेक्‍स विशेषज्ञों ने उनके किस पर शोध करने के बाद नए शब्‍द का इजाद किया है। इसे फ्लैक्‍सीसेक्‍सुअल कहते हैं।

फ्लैक्‍सीसेक्‍सुअलिटी इन दिनों एक ट्रेंड बनता जा रहा है। दुनिया भर में लोग इसे बहुत तेजी से फॉलो कर रहे हैं। फ्लैक्‍सीसेक्‍सुअल एक साधारण वुमन होती हैं। वह पुरुष दोस्‍तों के साथ संबंध बनाना पसंद करती हैं। लेकिन बायसेक्‍सुअल वुमन से फ्लर्ट करती हैं और मौका मिलने पर रिश्‍ते भी बनाती है।

मनोवैज्ञानिक डॉक्‍टर सेसिलिया डी फेलिस का कहना है कि आमतौर पर 40 की उम्र के बाद महिलाएं को सेक्‍स के बारे में काफी अनुभव हो जाता है। एक ही तरह के रिश्‍ते में रहते रहते वे बोर हो जाती हैं और मस्‍ती के लिए वे इस तरह के रिश्‍ते बनाती हैं। 

हॉलीवुड अभिनेत्री बेरीमोर कहती हैं कि वे महिलाओं के साथ संबंध बनाना पसंद करती हैं। क्‍योंकि उन्‍हें अपने शरीर के साथ नए प्रयोग करना पसंद है। वहीं लिंडसे लोहान ने तो इसे एक ट्रेंड बना दिया है। मनोवैज्ञानिक का कहना है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्‍यादा कामुक होती हैं। इसलिए वे दोनों सेक्‍स के प्रति बहुत जल्‍द आकर्षित हो जाती हैं।

हाल ही में कोको डि मर के सर्वे में यह बात सामने आई हैं कि 6000 में से 2000 महिलाएं महिलाओं के साथ सेक्‍स की फैंटेसी करती हैं। भले ही यह अब ट्रेंड बन गया है और इसे एक नाम दिया गया है, लेकिन यह नया नहीं है। यह प्राचीनकाल से यह चला आ रहा है।
Courtesy : dainik bhaskar अपनी बहुमूल्य टिपण्णी देना न भूले- धन्यवाद 

Wednesday, November 24, 2010

0 मर्सी किलिंग की ‘गुज़ारिश’?

 विश्व भर में मर्सी किलिंग को लेकर कई वर्षों से बहस चली आ रही है पर आज भी इस दुविधा को खत्म नहीं किया जा सका है कि मर्सी किलिंग सही है या गलत, यह मानव हत्या का ही एक स्वरूप है या वाकई में इसमें किसी की भलाई है।

मर्सी किलिंग का दूसरा नाम है यूथेनेशिया जो कि एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है 'गुड डेथ' यानि कि अच्छी मौत। यह ज़िंदगी को खत्म करने का एक ऐसा तरीका है जिसके पीछे पीड़ित को तकलीफ और परेशानी से मुक्ति दिलाने की मंशा होती है।
यूथेनेशिया दो प्रकार का होता है- ऐच्छिक और अनेच्छिक। हालांकि इन दोनों प्रकार के पीछे मंशा एक ही होती है पर अनेच्छिक को अपराध की श्रेणी में रखा गया है वहीं ऐच्छिक को नहीं। ऐच्छिक में मरीज़ की मर्ज़ी शामिल होती है जबकि अनेच्छिक मरीज़ की मर्ज़ी के खिलाफ होता है। इसी श्रेणी में एक और प्रकार है जिसमें मरीज़ की इच्छा प्राप्त नहीं होती। मतलब यदि मरीज़ इस हालत में नहीं कि अपनी मर्ज़ी बता सके या खासतौर पर बच्चे।
इसी तरह मर्सी किलिंग को दो और कैटेगरी में बांटा गया है- एक्टिव (सक्रिय) और पैसिव (निष्क्रिय)। एक्टिव यूथेनेशिया में मरीज़ को ऐसे ड्रग्स और चीज़ें दी जाती हैं जिनसे मानव जीवन खत्म किया जाता है। जबकि पैसिव में जीवन बचाने वाले एंटीबायोटिक्स और इलाज को बंद कर दिया जाता है।
हालांकि मर्सी किलिंग को लेकर कई बातें अभी तक सुलझाई नहीं जा सकी हैं और कई बहस भी इस को लेकर हो चुकी हैं। अभी तक विश्व में कुछ ही देशों में मर्सी किलिंग, जोकि मरीज़ की मर्जी से हो, को लीगल किया गया है, इनमें- बेल्जियम, लग्ज़मबर्ग, नीथरलैंड, स्विटज़रलैंड यूएस, ऑस्ट्रेलिया, अल्बानिया, जर्मनी, आदि शामिल हैं। आज भी मर्सी किलिंग के खिलाफ और समर्थन में कई देशों में बहस जारी है क्योंकि कई बार इसका गलत उपयोग भी किया जा चुका है वहीं यह बात भी ध्यान देने वाली है कि इससे कई लोगों का भला भी किया गया है।
ज़िंदगी को खत्म करने का अधिकार देना चाहिए या नहीं, यह एक अंतहीन बहस बन चुकी है। इसका समर्थन करने वालों के पास अपने तर्क हैं, और खिलाफियत करने वालों के अपने। 1939 में हिटलर ने उन बच्चों को जो कि बीमार हैं या शारिरिक रूप से असक्षम हैं मर्सी किलिंग द्वारा मारने का आदेश दिया था। तर्क ये था कि जब यही बच्चे बड़े होंगे तो उनका जीवन तो वैसे ही दूभर हो जाएगा साथ ही वो किसी काम के भी नहीं होंगे। पर ऐसे केस भी दुनिया में हुए हैं जब ऐसे फैसले बिना किसी जांच और मेडिकल रिकॉर्ड के बिना किए गए। जीवन के अधिकार के साथ साथ मरने का अधिकार भी होना चाहिए, यह अभी भी बहस का मुद्दा है।
Courtesy : dainikbhaskar अपनी बहुमूल्य टिपण्णी देना न भूले- धन्यवाद .

Wednesday, November 3, 2010

0 मंत्री अथवा गुरू किसे बनायें ?

मंत्री अथवा गुरू किसे बनायें, जिसमें सत्‍य को सत्‍य एवं असत्‍य को असत्‍य कहने का साहस होजो चाटुकारिता में नहीं बल्कि राज्‍यहित में विश्‍वास रखता होजो मान अपमान से परे हो, जिसे धन का लोभ न होजो कंचन व कामिनी से अप्रभावित रहे उसी व्‍यक्ति को राजा को अपना मंत्री अथवा गुरू नियुक्‍त करना चाहिये - चाणक्‍य नीति
शायद मेरे गुरुजी ऎसे नही थे, इसलिय मुझे बीस साल बाद  उनसे मोहभँग हो गया!

आपको यह  पोस्ट केसी लगी,  अपनी बहुमूल्य टिपण्णी देना न भूले- धन्यवाद .
  

Wednesday, September 22, 2010

1 EK AJEEB HAQIQAT

100 Rupye Ka Note Bahut Zyada Lagta Hai
Jab " GARIB KO DENA HO"'
Magar Hotel Me Baithe Ho Bahut Kam Lagta Hai....

3 Minute ISHWAR Ko Yaad Karna Bahut Mushkil Hai,
Magar 3 Ghante Ki Film Dekhna Bahut Aasan Hai....

Pure Din Mehnat Ke Baad Gym Jane Se Nahi Thakata,
Magar Jab Apne Hi Maa- Baap Ke Per Dabane Ho To Log Tang Ho Jaate Hain....

Is E-Mail Ko Forward Karna Bahut Mushkil Hota Hai,
Jab Ki Fizool Jokes Ke Mail Forward Karna Hamara Farz Ban Jata Hai....

Zidagi Ka Nazariya Badlo.......


These nice words, one of my friend share with me

Tuesday, September 21, 2010

0 किसान आंदोलनः जमीन जाएगी तो नक्‍सली बनेंगे

किसान जागा तो नेताओं की भी नींद टूटी, लेकिन इस बार किसान किसी नेता के भरोसे नहीं हैं. वे जान देने को तैयार हैं, लेकिन ज़मीन नहीं. 114 साल पुराने भू-अधिग्रहण क़ानून को बदलने की मांग है. संसद में बैठे नेताओं को सोचना होगा. जब एक प्रदेश के किसान दिल्ली आते हैं तो वह पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाती है. अगर पूरे देश के किसान एक मंच पर, दिल्ली आ जाएं तो फिर क्या होगा?

Tuesday, July 20, 2010

0 सच का सामना


COURTESY BY CHAUTHI DUNIYA BUREAU

Friday, July 9, 2010

1 जीना है तो हर 15 मिनट में खाना होगा.



टैक्सास। जिंदा रहने के लिए खाना जरूरी है, यह तो सबको पता है। लेकिन अमेरिका के टैक्सास में एक ऐसी लड़की है जिसको जिंदा रहने के लिए हर 15 मिनट में कुछ न कुछ खाना पड़ता है। अगर उसने ऐसा नहीं किया, तो वह मर भी सकती है।

लिजी वेलासक्वेज नाम की 21 वर्षीया लड़की का वजन केवल चार स्टोन (करीब 25 किलो) है। उसके शरीर पर केवल नाममात्र का मांस है। लिजी को एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का वजन बढ़ता ही नहीं। उसको दिन भर में कम से कम साठ बार कुछ-कुछ खाना पड़ता है।

हर दिन पांच से आठ हजार कैलोरी का आहार लेने के बावजूद उसका वजन दस ग्राम भी नहीं बढ़ता। पांच फीट दो इंच की लिजी ट्रिपल जीरो साइज के कपड़े पहनती है।

उसने बताया, मुझे अपने शरीर को ऊर्जा देने के लिए हर 15-20 मिनट में कुछ लेना पड़ता है। मैं सारा दिन चिप्स, मिठाई, चॉकलेट, पिज्जा, चिकन, केक, नूडल्स और आइसक्रीम खाती रहती हूं। लेकिन जब लोग मुझे मेरे खाने की वजह से भुक्कड़ समझते हैं, तो मुझे बहुत बुरा लगता है।

जन्म के समय लिजी का वजन केवल दो पौंड (करीब नौ सौ ग्राम) से कुछ ही ज्यादा था। लिजी के पैदा होने में भी कई कठिनाईयां आई थीं। लिजी का वजन नहीं बढ़ता देख उसकी मां ने डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टरों ने कहा कि उसको डि बारसे सिंड्रोम नाम की बीमारी हो सकती है, जो कि समय के साथ ठीक हो जाएगी। लेकिन लिजी की हालत अब भी जस की तस है।
[जेएनएन
THANKS AND  COURTESY BY  JNN


Tuesday, July 6, 2010

0 बीवी हो तो ऐसी

बीवी हो तो ऐसी, खुद ही ले आई अपनी सौतन
नगरा (सारण) कहते हैं कि पत्नी सभी सितम सह लेती है लेकिन अपने पति के साथ किसी परायी महिला से हंस कर बातचीत करना तक उसे नागवार गुजरता है। नगरा प्रखंड में एक ऐसी घटना हुई है जिसने इस विचार को हिलाकर रख दिया है। यहां एक पत्नी खुद अपनी सौतन लाती है। पति के प्रेम के आगे झुकते हुए उसने अपनी बहन से उसकी दूसरी शादी करा दी। यह घटना नगरा प्रखंड क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। हुआ यूं कि प्रखंड मुख्यालय के समीप योगी बाबा मंदिर अफौर के परिसर में गुरुवार को एक 27 वर्षीया महिला ने अपने ही पति की दूसरी शादी करवा दी। देखने के लिये सैकड़ों लोगों की भीड़ लगी हुई थी। नगरा पंचायत के रसूलपुर गांव के कालिका साह ने 2003 में अपनी पुत्री सविता की शादी गड़खा थाना के सत्यहा गांव के वैद्यनाथ साह के 30 वर्षीय पुत्र अशोक साह से की थी। जिसे तीन बच्चे भी हैं। बहरहाल पहले बच्चे के जन्म के समय सविता ने अपनी 23 वर्षीया बहन सरिता कुमारी को देखभाल के लिये बुलाया था। उसी समय से साली और जीजा का प्रेम प्रसंग चलने लगा। इसके बाद अशोक साह अपनी पत्नी पर साली के साथ शादी करवाने का दबाव बनाने लगा। साथ ही शादी नहीं होने पर आत्महत्या की धमकी भी देता रहा। पत्नी ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए अपनी बहन सरिता से शादी करवा दी। हालांकि लड़की के गांव के कुछ लोगों द्वारा इस शादी का विरोध किया गया। लेकिन लोग यह भी कहते सुने गए कि जब मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी
[जेएनएन
THANKS AND  COURTESY BY  JNN

Sunday, July 4, 2010

0 Trust

एक दोस्त ने दूसरे से कहा- क्या होगा अगर मैं तुम्हारा विश्वास तोड़ दूं। उसने कहा- तुम पर विश्वास करना मेरा फैसला था और उस बनाए रखना या तोड़ना तुम्हारा फैसला 

Monday, June 28, 2010

0 Result

आज के  दौर में हम पहले से भी ज्यादा काम कर रहे  है,  लेकिन फिर भी अशांति हमारा  पीछा नहीं छोड़ रही।  दरअसल हम कर्म करने से अशांत नहीं है, हम  विचलित हैं परिणाम सोच कर। हम जो भी काम करते हैं उसकी सफलता का संशय या असफलता की आशंका हमें बेचैन करती है। 

Wednesday, June 16, 2010

0 Peace

एक ही छत के निचे रहने वाले दस लोगों की  आपस मैं बात न करना! शांति का प्रतिक है,  या आने वाले खतरे की घंटी ?

Tuesday, June 1, 2010

0 child

बच्चों की कल्पनाओं को दबाए नहीं, उन्हें सही दिशा दें। जहां जरूरत पड़े उन्हें पूरा प्रोत्साहन दें।

Monday, May 31, 2010

0 Feeling

आज के Professional  दौर में संवेदनाएं (feelings)  शून्य हो गई हैं। और हर आदमी प्रतिस्पर्धा की दौड़ में है,  और अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार है|

Sunday, May 30, 2010

0 Resolutions

कई बार हम अपने जीवन मैं निर्णय/प्रस्ताव (Resolutions ) बनाते है| और संकल्प करते है, कि उसे पूरा करने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। कई बार हम कसमें खा कर भी अपना प्रण पूरा नहीं कर पाते,  कयोंकि हमारा स्वाभाव ही खुद के लिए जिम्मेदार है। कभी कभी कड़े प्रण लेकर भी हम उसमें खुद के लिए छूट/रियायत  भी तय कर लेते हैं,  एक बार प्रण टूटा तो फिर जल्द ही हम पुराने र्ढे पर लौट आते हैं।

Saturday, May 22, 2010

0 Air crash

एयर इंडिया के विमान का हादसा होना बहुत दुखदायी घटना है। इस घटना में जो लोग  मारे गए हैं,  मैं मारे गए लोगों के परिवार के लिए प्रार्थना करता हूं,  कि भगवान उन्हें इस दुख से उभरने की ताकत दें।   और हम सब उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।


Wednesday, May 12, 2010

0 MS Dhoni

टी-२० वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद,  धोनी ने कहा " आईपीएल पार्टियों ने बिगाड़ा खेल: धोनी "   लगता है धोनी महाशय  भी मेरा ब्लॉग बढता है, क्योकि दो दिन पहले मैंने यही लिखा  था, 

Tuesday, May 11, 2010

0 T-20 world cup

T-20 वर्ल्ड कप में इंडिया की हार, ये तो होना ही था, IPL की थकान , रात को मॉडल, एक्ट्रेस और cheer लीडर्स के साथ पार्टी में रोमांस और देर रात तक जागना, और दिन में   ब्रांड इंडोर्समेंट (brand  endorcement  ) के लिय शूटिंग,  जब दोनों हाथों से पैसा समेटा जा रहा है तो, तो खेल के लिय ( practice )  अभ्यास  का समय ही कहाँ है. ये शरीर है मशीन नहीं, इसको भी आराम की जरूरत है.

पैसा कमाना बुरा नहीं है, परन्तु जिस  खेल ने आपको मान सम्मान  सोहरत दी है, उसकी लाज  तो रखना जरुरी है,  राष्ट्रपति के अवार्ड समारोह (function ) में भी जाने का  भी समय नहीं है.

Friday, May 7, 2010

0 Godfather

हे ईश्वर मुझे भी  ललित मोदी जैसा Godfather  दे ?,   और  उसका पिता  के के मोदी  जिसको पता है , उसका बेटा क्या है, फिर भी बयान देता है, सारी प्रोपर्टी बेच दूंगा, बेटे की हेल्प करूंगा, सारा परिवार साथ रहे , नहीं तो प्रोपर्टी  से एक पैसा भी नहीं मिलेगा|  कई बार सोचता हूँ, IPL  यह  जुआ नहीं तो क्या है?  जो सरकार की नाक के निचे खेला जा  रहा है. और जुआरी समाज के अमीर और बड़े रशुक वाले लोग है,   और सरकार मूक दर्शक होकर तमाशा देख रही है ?