ऐ जिंदगी गले लगा ले, हमने भी तेरे हर एक गम को गले से लगाया है... है ना।
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Fact of life!
Thursday, May 31, 2012
Monday, January 30, 2012
0 चाणक्य सूत्र
आचार्य चाणक्य कहते हैं-
चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति आपकी बीमारी में, दुख में, दुर्भिक्ष में, शत्रु द्वारा कोई संकट खड़ा करने पर, शासकीय कार्यों में, शमशान में ठीक समय पर आ जाए वही इंसान आपका सच्चा हितैषी हो सकता है।
जब कोई व्यक्ति किसी भयंकर बीमारी से ग्रस्त हो और उस जो लोग उसका साथ देते हैं वे ही उसके सच्चे हितैषी होते हैं। जब जीवन में कोई भयंकर दुख आ जाए या कोई मुकादमा, कोर्ट केस में फंस जाए तब जो इंसान गवाह के रूप में साथ देता है वही मित्र कहलाने का अधिकारी होता है। इसके अलावा मृत्यु के समय पर जो व्यक्ति उपस्थित हो जाए वही सच्चा मित्र होता है। जब किसी शासकीय कार्य में कोई अड़चन आ जाए और जो मित्र आपका साथ दे वही सच्चा इंसान है।
ये 6 हालात ऐसे हैं जहां आपका सच्चा हितैषी ही साथ दे सकता है। अत: जो इन स्थितियों में आपका साथ देता है उनसे मित्रता कभी भी नहीं तोडऩा चाहिए। सदैव उनसे स्नेह रखें।
Wednesday, July 6, 2011
0 मोह को त्याग
Thursday, May 26, 2011
0 चर्चिल
Saturday, April 30, 2011
0 विश्वास
चार्ल्स
Friday, April 1, 2011
Tuesday, March 29, 2011
0 सावरकर
Saturday, February 26, 2011
0 well-wisher - शुभचिन्तक
Sunday, February 6, 2011
0 पेड़ लगाओ
Friday, February 4, 2011
0 ठोकर!
Wednesday, February 2, 2011
1 अब्राहम लिंकन
Wednesday, January 26, 2011
0 काँच की बरनी और दो कप चाय
दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं...उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी (जार) टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची... उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ... आवाज आई...फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे-छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये,धीरे-धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये, फ़िर से प्??ोफ़ेसर साहब ने पूछा, क्या अब बरनी भर गई है,छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ.. कहा अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले-हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया, वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई, अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा, क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ.. अब तो पूरी भर गई है.. सभी ने एक स्वर में कहा..सर ने टेबल के नीचे से चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली, चाय भी रेत के बीच में स्थित थोडी़ सी जगह में सोख ली गई...प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया - इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो.... टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान, परिवार, बच्चे, मित्र, स्वास्थ्य और शौक हैं, छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी, कार, बडा़ मकान आदि हैं, और रेत का मतलब और भी छोटी-छोटी बेकार सी बातें, मनमुटाव, झगडे़ है..अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती, या कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते, रेत जरूर आ सकती थी...ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है...यदि तुम छोटी-छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय नहीं रहेगा... मन के सुख के लिये क्या जरूरी ह? ये तुम्हें तय करना है । अपने बच्चों के साथ खेलो, बगीचे में पानी डालो , सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ, घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको, मेडिकल चेक- अप करवाओ..टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो, वही महत्वपूर्ण है... पहले तय करो कि क्या जरूरी है.... बाकी सब तो रेत है..छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे... अचानक एक ने पूछा, सर लेकिन आपने यह नहीं बताया कि "चाय के दो कप" क्या हैं ?प्रोफ़ेसर मुस्कुराये, बोले.. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया... इसका उत्तर यह है कि, जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे, लेकिन अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये ।
Wednesday, January 19, 2011
0 एलेन स्ट्राइक
Wednesday, January 12, 2011
0 ईगो
Tuesday, December 21, 2010
0 लियो टॉल्स्टाय
लियो टॉल्स्टाय
Sunday, December 19, 2010
0 जिन्दगी से हारा आदमी कभी सफल नहीं बन सकता !
और यह भी तय है कि अगर आप ऊपर नहीं है तो इसका मतलब है आप नीचे हैं। आप जिन्दगी की लड़ाई हारे हुए हैं। जिन्दगी के क्रिकेट में या तो जीत होती है या हार, जिन्दगी के क्रिकेट में ड्रा नहीं होता।
इस प्रश्न का सीधा सा उत्तर है कि जो लोग जिन्दगी की लड़ाई जीतते हैं वे आत्मविश्वास से भरे होते हैं और आपमें आत्मविश्वास की कमी होती है। रोजमर्रा की छोटी-छोटी बातें बता देती हैं कि आपमें कितना आत्मविश्वास है। जरा याद करके बताइए कि क्या आप दूसरों से आँखों में आँखें डाल कर बात करते हैं? आप किसी से अकड़कर सख्ती के साथ हाथ मिलाते हैं या मरियल सा होकर?
रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान॥
जब एक कमजोर रस्सी पत्थर पर निशान बना सकती है तो आप भला क्यों जिन्दगी की लड़ाई नहीं जीत सकते?
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