एक चोर प्रवृत्ति का ठग व्यक्ति हुआ करता था नटवर लाल. उसने तीन बार ताजमहल को, दो बार लालकिले को और एक बार तो राष्ट्रपति भवन को भी भोले-भाले विदेशी पर्यटकों को बेच डाला था. इस नटवर लाल का असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था. नटवर लाल ने अपनी चालाकी से सैकड़ों लोगों के करोड़ों रुपये मार लिए. वैसे ही अपना नाम बदल कर चोरी करने वाला एक शख्स बनकर उभरा है हसन अली. हसन अली की कहानी कई राज़ होने की वजह से परतों में दबी है. दरअसल, 1982 से पहले हैदराबाद में हसन अली को लोग चोर अली के नाम से जानते थे. बारहवीं पास अली एंटिक कलाकृतियां बेचने का काम करता था. उस वक़्त पूरे हैदराबाद में चर्चा थी कि अली के पास निज़ाम की पुरानी मूर्तियां और अन्य वस्तुएं हैं. पुलिस की तफ्तीश में यह चर्चा खोखली नहीं निकली और पता चला कि अली के पास ऩि-जाम के एंटिक कुछ तो असली थे और कुछ उसने नक़ली बनवा कर रखे थे, जिन्हें बेचकर वह अपना जीवन बसर करता था. हसन अली खुद बारहवीं तक पढ़ा है, फिर भी वह बारहवीं कक्षा के छात्रों की ट्यूशन लेता था. अपने शातिर दिमाग़ के चलते वह छात्रों और स्कूलों को गुमराह करने लगा. हसन अली की पुलिस-प्रशासन में इतनी पैठ थी कि आधा दर्जन क्रिमिनल और धोखाधड़ी के मामले दर्ज होने के बावजूद हैदराबाद पुलिस ने उसे यह कहकर क्लीन चिट दे दी थी कि उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है.
अमीर बनने का सपना लेकर बड़े हुए हसन अली को किसी भी तरह के सामान्य व्यापार या कामकाज में बड़ी-बड़ी गाड़ियों और हवेलियों के सपने पूरे होते नहीं दिखे तो इस शातिर दिमाग़ अली ने हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए. 1990 के दशक में यह चोर अली मशहूर हो गया और हैदराबाद के सबसे शानदार इलाक़े बंजारा हिल्स में रहने लगा. साथ में पत्नी महबूबा खान और दो बेटे भी रहते थे, लेकिन इसी दरम्यान हसन अली ने हैदराबाद छोड़ने का मन बना लिया. वर्ष 1993 हसन अली के लिए खास था. इस साल सिंगापुर के एक बैंक के किसी अकाउंट होल्डर की मौत हो गई. उस व्यक्ति के किसी जानकार ने हसन अली को यह काम दिया कि वह मरने वाले व्यक्ति के अकाउंट से पैसे निकलवा दे. इसकी एवज़ में अली को अकाउंट से निकली भारी रकम का कुछ हिस्सा अदा करने का वादा किया गया. तब अली ने यह सीखा कि किस तरह किसी अकाउंट का होल्डर न होते हुए भी अकाउंट से पैसे निकलवाए जा सकते हैं. फिर हसन अली सिंगापुर पहुंच गया, पर अकाउंट से पैसे फ्लो कराने के लिए उसके द्वारा की गई तिकड़मबाजी नाकाम हो गई.
सिंगापुर में इसकी मुलाक़ात कोलकाता के दो स्विस बैंक ऑपरेटरों से हुई. सिंगापुर भी टैक्स हेवन है, यहां भी स्विस बैंकों की तरह काला धन जमा किया जाता है. इसलिए यहां दुनिया भर के मा़फिया और हवाला ऑपरेटर आसानी से मिल जाते हैं. हसन अली जिन दो लोगों से मिला, उनमें से एक बिरला परिवार की प्रियंवदा बिरला का भाई काशीनाथ तपोरिया था तो दूसरा होटल का बिजनेस करने वाले फिलिप आनंदराज था, जिसके रेस्टोरेंट कम होटल ज्यूरिक में हैं. माना जाता है कि इन लोगों के देश के कई बड़े राजनीतिज्ञों से का़फी अच्छे संबंध हैं. अली की इनसे गहरी मित्रता हो गई. 2000 में वहां से लौटकर हसन अली पहली पत्नी महबूबा खान को तलाक़ देकर पुणे में दूसरी पत्नी रीमा के साथ रहने लगा, जो हॉर्स ट्रेनर फैजल अली की बहन है. घुड़सवारी का शौकीन हसन अली रॉयल वेस्टर्न इंडिया टर्फ क्लब में अपने घोड़े रखकर स़िर्फ उनकी मेंटेनेंस का खर्च वहन करता था. बाद में कथित तौर पर इसके माने जाने वाले स्टड फार्म को इसने धोखाधड़ी से हड़प लिया. दरअसल, जिस जगह पर यह स्टड फार्म चलाता है, वह जगह सरकार ने भूमिहीन मज़दूरों के लिए दी थी, लेकिन उस पर किसी गुंडे ने क़ब्ज़ा कर लिया और फिर हसन अली ने वह जमीन उससे खरीद ली. पुणे में रहते हुए अली 10 घोड़ों, ट्यूलिप अपार्टमेंट के दो फ्लोर, आनंद दर्शन बिल्डिंग में एक फ्लैट, दो मर्सीडीज कारों और एक पोर्स का मालिक हो गया. वह रेस में घोड़ों पर बहुत कम, लगभग 15,000 से लेकर एक लाख रुपये तक की ही बेट करता था, लेकिन उस व़क्त उसके अकाउंट में तक़रीबन 300 मिलियन रुपये थे.
हसन अली खुद को स्क्रैप डीलर और स्टड फार्म व्यापारी बताता था, लेकिन जांच एजेंसियों को यह मालूम था कि इतने ज़्यादा पैसे इन व्यापारों से कमाए नहीं जा सकते. दरअसल, ये रुपये उन नेताओं के थे, जिनके स्विस बैंकों में अकाउंट थे, जिन्हें हसन अली ऑपरेट करता था. दरअसल, हसन अली नाम ड्रॉप करने में माहिर है. तपोरिया और आनंदराज को अपना काला धंधा चलाने के लिए पैसे की ज़रूरत थी. अली ने उन्हें विश्वास दिलाया कि रुपये का इंतजाम हो जाएगा, क्योंकि वह कई लोगों के स्विस बैंक अकाउंट को ऑपरेट करता है. अली ने उनसे विदेशी बैंकों में पैसे रखने, निकालने और हड़पने के गुर सीखे और विदेशी बैंकों में पैसों के ट्रीटमेंट के काम का धंधा तगड़ा कर लिया. 1982 से 1985 तक इसके पास डेढ़ मिलियन रुपये थे. ये पैसे सिंगापुर के यूबीएस बैंक के अकाउंट में थे, जिसे एक विदेशी डॉक्टर पीटर विली की मदद से सऊदी अरब के हथियार व्यापारी और हवाला डीलर अदनान खशोगी की स़िफारिश पर खोला गया था. 1985 में हसन अली के सिंगापुर के यूबीएस अकाउंट में पास तीन सौ मिलियन रुपये आए, जो अदनान खशोगी के मैनहेटन बैंक अकाउंट से डॉक्टर विली की मदद से ट्रांसफर हुए. इसके बाद हसन अली का सिंगापुर स्थित यूबीएस अकाउंट 1986 में ज्यूरिक में ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन 1997 में अली के इस अकाउंट को हथियार की खरीद-फरोख्त में इस्तेमाल होने के अंदेशे से बंद कर दिया गया. यह पैसा किसी रशियन माफिया का था. इस वक्त तक अदनान खशोगी लिट्टे को हथियार बेचता था. उनसे अली ने जो डील कराई, यह पैसा उसी का रिवॉर्ड था.
हसन अली गोल्फ का शौक़ीन है, वह ज्यूरिक, लंदन और दूसरे देशों में गोल्फ खेला करता था. इसके पास भारत के ही छह पासपोर्ट हुआ करते थे. यह जानकारी निश्चित रूप से देश के पासपोर्ट विभाग पर सवाल खड़ा करती है. 1993 में अली ने ब्रिटिश हाई कमीशन में अपना पासपोर्ट खोने की रिपोर्ट दर्ज कराई और फिर विभाग की तऱफ से इसे नया पासपोर्ट दे दिया गया. नया पासपोर्ट आने पर भी इसका पुराना पासपोर्ट निरस्त नहीं हुआ. एयरपोर्ट पर पासपोर्ट डिटेल्स लॉग करने वाले अधिकारियों को रिश्वत खिलाकर इसने अपना नाम चढ़वाने से रोक लिया. इसी तरीक़े से यह अपने सभी पासपोर्ट निरस्त होने से रोक देता था. 2001 में जब 9/11 का हमला हुआ, तब अमेरिका और दूसरे देशों ने उन सभी बैंक खातों के ट्रांजेक्शन बंद कर दिए, जिनके आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने की आशंका थी. तब अली हसन के अकाउंट में अचानक मिडिल ईस्ट के देशों से पैसा आने लगा. ये पैसे उसके अकाउंट में इसलिए आए, क्योंकि इस वक़्त अमेरिका ने सभी बैंकों को फ्रीज करने का फरमान जारी कर दिया था. ऐसे में अली हवाला के ज़रिए एक देश से दूसरे देश तक लोगों के पैसे पहुंचाया करता था. 2006 में भारत में टैक्स हेवन बैंक और स्विस बैंक के साथ क्रिमिनल्स का राज हो गया. 2005 के अंत में एक स्विस बैंक हैदराबाद में खोला गया. यूबीएस बैंक को खोलने की इजाज़त बिना किसी खास कार्रवाई के किसी भी मुल्क को नहीं है, क्योंकि यह बैंक सिर्फ स्लीज में डील करता है. 2006 में भारत में 3 और स्विस बैंक खुले. इस साल हसन अली के अकाउंट में पड़े 529 करोड़ रुपये 100 गुना बढ़कर 54,268 करोड़ रुपये तक पहुंच गए. फरवरी 2007 में पता चला कि अली ने पिछले पांच सालों से अपना इनकम टैक्स रिटर्न ही नहीं भरा है. इस तरह अली हसन के अकाउंट में 2001-02 में 529 करोड़, 2002-2003 में 5404 करोड़, 2003-04 में 2444 करोड़, 2005-06 में 10,495 करोड़ और 2006-07 में 54,268 करोड़ रुपये थे, जिसके लिए उसने इनकम टैक्स रिटर्न भरा ही नहीं, लेकिन उसके इन कारनामों की पूरी फाइल इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट में रिकार्ड हो रही थी. इनकम टैक्स के पूर्व कमिश्नर विश्वबंधु गुप्ता कहते हैं कि हसन अली की शिकायत पर इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट के 3 अधिकारियों को निलंबित किया गया. इन अधिकारियों ने हसन अली की इतनी रिकॉर्डिंग कर ली थी कि उस पर कार्रवाई स़िर्फ भारत में ही नहीं, 11 और देशों में भी होती. वित्त मंत्री की तरफ से ईडी के डायरेक्टर को फोन जाने पर ही इन तीन अधिकारियों को निलंबित किया गया और फिर इनकी जगह उन अधिकारियों को लाया गया, जिनके नाम हसन अली ने दिए. सुप्रीम कोर्ट ने भी हसन अली की सुनवाई के दौरान इस बात पर सवाल उठाया था कि इन तीन अधिकारियों को बुलाकर उनके हल़फनामे लिखवाए जाएं कि उन्होंने कौन-कौन सी जानकारियां हसन अली के खिला़फ रिकॉर्ड की हैं. हसन अली के छह देशों में कई और बैंक अकाउंट हैं, जिनमें कई नेताओं और नौकरशाहों के पैसे हैं. ये अकाउंट सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, लंदन, मॉरीशस, मेडागास्कर जैसे देशों में है. सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश पर हसन अली पर कार्रवाई की गई और इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने हसन अली को रिमांड पर लेकर पूछताछ की. फिर भी कभी काग़ज़ी खानापूर्ति की वजह से तो कभी सही डॉक्यूमेंट मौजूद न होने की वजह से ईडी ने हसन अली पर ठीक तरह से कार्रवाई होने में रोड़ा लगाया. यह स़िर्फ सुप्रीम कोर्ट का दबाव ही था, जिसकी वजह से हसन अली की बर्बर सच्च्चाइयां सामने आ सकीं.
अब ईडी द्वारा की गई जांच पर अली ने अपनी ज़ुबान खोली है और बताया कि इस खेल में वह स़िर्फ एक छोटी मछली है और इसके तार बड़े-बड़े नेताओं और अफसरशाहों से जुड़े हैं. फिलहाल महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों का पैसा अपने पास होने का खुलासा वह कर चुका है. इन मुख्यमंत्रियों के नाम आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले से भी जुड़े हैं. हालांकि उनके नाम नहीं लिए गए हैं, लेकिन समझा जा सकता है कि 1999 से लेकर अब तक महाराष्ट्र में कांग्रेस की ही सरकार है और 1999 से ही हसन ने इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है. 8 बिलियन डॉलर के अकाउंट होल्डर हसन अली के हवाले से और भी खुलासे होने हैं. दरअसल इस खेल का असली पर्दा़फाश तो अब ही होगा जब इस संगीन जुर्म से सने नामों की असलियत खुलकर सामने आएगी.
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