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Saturday, November 20, 2010

1 वीर-बरखा जाएंगे तिहाड़?

 बड़ा ही अजीब सवाल है। वीर यानी वीर सांघवी- 'हिंदुस्तान टाइम्स' के संपादकीय निदेशक, बेहद ऊंचा पद। बरखा यानी बरखा दत्त- 'एनडीटीवी 24/7 की समूह संपादक, बेहद रसूखदार पद। सवाल यह उठता है कि इन दोनों का तिहाड़ जेल से क्या मतलब। मतलब है, मतलब ही नहीं बल्कि बहुत बड़ा मक़सद है! दरअसल, 2-जी स्पेक्रट्रम घोटाले के सूत्रधारों में इनकी शुमारी काफ़ी मायने रखती है। कथित रूप से दुनिया की सबसे बड़ी दलाल नीरा राडिया की ये दोनों दाएं-बाएं हाथ सरीखे हैं, जो राजनीति के गलियारे में नीरा राडिया की बेलाग इंट्री करवाते हैं।
2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले के राजा, यानी ए.राजा सबके गले की फांस बने हुए हैं। देश की राजनीति की उत्तरी से दक्षिणी सीमा तक हहाकार मचा हुआ है। गली के छुटभैया नेताओं से लेकर पीएमओ तक सभी अपना ब्रह्मास्त्र एक दूसरे पर चला रहे हैं, लेकिन सब बेकार। ए. राजा का इस्तीफ़ा भी 70 हज़ार करोड़ के इस घोटाले में कोई मायने नहीं रखता। बस सभी लोग भ्रष्टाचार के उस पुराने पेड़ की ऊपरी फुनगी को काटने में लगे हैं, ताकि जब उनकी बारी आए तो फिर दुबारा उगे उस फुनगी से उगे फूल का आनंद ले सकें। फिर क्या? ज़्यादा से ज़्यादा इसी तरह का हो-हंगामा और एक बार फिर उस फुनगी को काट दी जाएगी।
इसी तरह काटने और फुनगी से मज़ा लेने का यह खेल निरंतर चलता रहे, और एक-एक कर जो सरकारें आएं इसका लाभ उठाते रहें। आज़ादी के बाद से अभी तक निरंतर यही होता रहा है। बोफ़ोर्स, टेलिकॉम (सुखराम), जीप पर्चेज (1948), साइकिल इंपोर्ट (1951), मुंध्रा मैस (1958), तेजा लोन(1960), पटनायक मामला (1965), मारुति घोटाला, कुओ ऑयल डील (1976), अंतुले ट्रस्ट (1981), एचडीडब्ल्यू कमिशन्स (1987), सिक्योरिटी स्कैम (1992) हर्षद मेहता, इंडियन बैंक (1992), चारा घोटाला (1996) लालूतहलका, स्टॉक मार्केट; केतन पारीख, स्टांप पेपर स्कैमअब्दुल करीम तेलगी, सत्यम घोटाला, मनी लांडरिंग (2009) मधु कोड़ा...आगे सिलसिला जारी है...
इन सारे घोटालों  की जड़ में किसी ने नहीं हाथ डाला, सभी ने फुनगियां ही काटीं। नतीजा सामने है, यानी घोटालों का सिलसिला जारी है। अगर शुरू में ही जड़ पर हाथ डाला गया होता, तो आज इतने घोटालों की नौबत ही नहीं आती। जड़ का तात्पर्य उन सारे लोगों से है, जो बैकग्राउंड में रहकर घोटालों मेंअपनी भूमिका निभाते हैं। हालांकि इन पर हाथ डालना थोड़ा मुश्किल ज़रूर है, लेकिन असंभव नहीं।
Courtesy सुधांशु कुमार- B4M  अपनी बहुमूल्य टिपण्णी देना न भूले- धन्यवाद .

1 comment:

  1. दस नेता, दस अफसर, दस उद्योगपति और दस कानून को बिगाड़ने वाले ,टाप के, फांसी चढ़ा दिये जायें सरे आम, बिना किसी कार्रवाई के.. देश सुधर जायेगा...

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