किसानों की ज़मीन सस्ती दरों पर लेकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों और बिल्डरों को बेचे जाने से किसान नाराज़ हैं. ये उद्योगपति और बिल्डर इस ज़मीन पर टाउनशिप, मॉल, होटल और क्लब बनाने की तैयारी में हैं. किसानों को आज जिस ज़मीन के लिए 570 रुपये प्रति वर्ग मीटर की क़ीमत दी जा रही है, अगले बीस सालों में उसकी क़ीमत 5 हज़ार रुपये से ज़्यादा हो जाएगी. उद्योग जगत में आजकल वायदा कारोबार का जोर है. ज़मीन किसान की और फायदा उद्योगपतियों एवं बिल्डरों का, यह सरासर बेईमानी है. इस शोषण की ज़िम्मेदार सरकार और उसकी बनाई नीतियां हैं, जो औने-पौने दामों पर ग़रीब किसानों की ज़मीन हड़प रही है. किसानों को यह लगने लगा है कि सरकार उनकी हितैषी नहीं है. वह एक दलाल की भूमिका में है और किसानों के गुस्से की असल वजह यही है
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