धर्म की जड़ें बहुत गहरी और मजबूत होती हैं। तभी तो मानव इतिहास के हजारों वर्ष बीत जाने के बावजूद धर्म की इमारत आज भी उसी बुलंदी के साथ तन कर खड़ी है। कुछ विद्वानों और विचारकों को डर था कि वैज्ञानिक प्रगति और आधुनिकता के साथ-साथ धर्म का प्रभाव और पहुंच घटने लगेगी, किन्त ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। भले ही इंसान चांद-तारों पर पहुंच गया हो पर अपनी जड़ों से कटकर ऊंचा उठना उसके लिये कभी भी संभव नहीं हो पाएगा।
' ऊँ' शब्द तीन अक्षरों अ, उ और म से मिलकर बना है। पर इसमें ऐसा क्या खास है कि इसे हिन्दुओं ने अपना पवित्र धार्मिक प्रतीक मान लिया है। ईसाइयों में क्रास का चिह्न तथा मुस्लिमों में 786 की तरह ही हिन्दुओं में स्वास्तिक और ऊँ का विशेष महत्व माना जाता है। असंख्य शब्दों और चिह्नों में से ऊँ और स्वास्तिक को ही क्यों चुना गया। आइये ऊँ की खासियत जाने विज्ञान की प्रयोगशाला में चलकर...
चिकित्साशास्त्री, शरीर विज्ञानी, ध्वनि विज्ञानी और अन्य भौतिक विज्ञानी ओम को लेकर आज बड़े आश्चर्यचकित हैं। इंसानी जिंदगी पर किसी शब्द का इतना अधिक प्रभाव सभी के आश्चर्य का विषय है। एक तरफ ध्वनिप्रदूषण बड़ी भारी समस्या बन चुका है, वहीं दूसरी तरफ एक ऐसी ध्वनि है जो हर तरह के प्रदूषण को दूर करती है। वो ध्वनि है ओम के उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि। जरा देखें ओम के उच्चारण से क्या घटित और परिवर्तित होता है:-
- ओम की ध्वनि मानव शरीर के लिये प्रतिकूल डेसीबल की सभी ध्वनियों को वातावरण से निष्प्रभावी बना देती है।
- विभिन्न ग्रहों से आनेवाली अत्यंत घातक अल्ट्रावायलेट किरणें ओम उच्चारित वातारण में निष्प्रभावी हो जाती हैं।
- ओम का उच्चारण करने वाले के शरीर का विद्युत प्रवाह आदर्श स्तर पर पहुंच जाता है।
- इसके उच्चारण से इंसान को वाक्सिद्धि प्राप्त होती है।
- अनिद्रा के साथ ही सभी मानसिक रोगों का स्थाई निवारण हो जाता है।
- चित्त एवं मन शांत एवं नियंत्रित हो जाते हैं।
Source: धर्म डेस्क. उज्जैन
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