कभी-कभी जीवन एक competition जैसा लगने लगता है, हर तरफ भागदौड़ अफरा तफरी मची हुई है। कभी कोई हमसे आगे निकल रहा है तो कोई हमें पीछे खींचने की कोशिश करता है।
ऐसे में मन अशांत और निराश होने लगता है। कभी कभी ऐसा भी होता है कि आप बहुत कोशिश करते हैं फिर भी सफलता हाथ नहीं लगती। ऐसे में सबसे ज्यादा निराशा खुद से ही होती है। हमें अपनी काबिलीयत पर भी संदेह होने लगता है। जब ऐसी परिस्थितियों में निराशा हाथ लगती है, तो मन बहुत दुखी हो जाता है और एक अनचाहा बोझ हमारे मन पर आता है।
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