आम-आदमी नेताओं से इतनी ज्यादा घृणा करने लगा है कि वह चाटा मारने पर उतारु हो गया है। कल कोई गोली चलाए तो हैरत नहीं होगा। क्योंकि नेतागण इसी के लायक हैं। जनता परेशान है और ये खुद मलाई खा रहे हैं। जिस जनता की गाढ़ी कमाई के टैक्स से वे मामूली कीमत पर अपने लिए सुविधायें जुटाते हैं उनकी वे परवाह करना ही भूल गए हैं। जब चुनाव आता है तो सारे रंगे सियार एक जैसे हो जाते हैं और आम-आदमी को अपना माई-बाप बताते हैं लेकिन वोटों के पड़ने के बाद भूल जाते हैं।
कहीं अरब देशों की तरह भारत मैं भी जनता सडको पर न आ जाए, तब हमारे ये माननीय नेता क्या करेंगे. लोकसभा और विधान सभाओं मैं ये खुद माइक , कुर्सी फेंक कर लड़ते है. और जब कोई इनको गाली दे तो ये है शिस्टाचार का पाठ पढ़ाते हैं.
अनुभवी नेता क्या होता है ये शरद पवार ने दिखा दिया। महंगाई से पीड़ित आम आदमी से थप्पड़ खाने के बाद भी वह बगैर विचलित हुए आगे बढ़ गए। जैसे कुछ हुआ ही न हो। आदर्श बातें, आदर्श स्थितियों के लिए होती हैं। जब सरकार और व्यवस्था आम लोगों के लिए आदर्श नहीं है तो जनता की प्रतिक्रिया आदर्श कैसे रहेगी। सरकार की नीतियो से जनता परेशान है। आम आदमियों की सरकार उन्हीं का संघार करने पर आमदा है। ऐसे मे लोगो का गुस्सा फूटना लाजमी है। शदर पवार पर थप्पड़ पड़ना ताज्जुब की बात नहीं है।
message for other politicians
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