मुंबई में एक बार फिर हुए आतंकी हमले में करीब 20 लोगों की जान चली गई है। आंकड़ों पर नजर डालें तो लगता है कि महाराष्ट्र सरकार के लिए इन जानों की कोई कीमत नहीं है।
महाराष्ट्र में सरकार राज्य के एक नागरिक पर सुरक्षा के नाम पर साल भर में महज 190 रुपये का बजट देती है। इसमें गृह विभाग पर किया जाने वाला सारा खर्च शामिल है। इसके उलट, मुंबई हमले के गुनहगार आतंकी अजमल अमीर कसाब की सुरक्षा पर एक साल में ही 31 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए थे। इस खर्च में कसाब की सुरक्षा कर रही आईटीबीपी का एक साल (वर्ष 2009-10) का करीब 11 करोड़ रुपये का बिल शामिल नहीं है। आईटीबीपी ने यह बिल महाराष्ट्र सरकार को दिया था, जिसे प्रदेश की सरकार ने केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेजा है।
इस साल हुई जनगणना के मुताबिक महाराष्ट्र की कुल आबादी करीब 11 करोड़ (11,23,72,972) है, जबकि महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग का कुल सालाना बजट (वित्त वर्ष 2011-12 के लिए) करीब 2100 करोड़ रुपये है। इस हिसाब से हर नागरिक की सुरक्षा के लिए साल भर में करीब 186 रुपये का ही प्रावधान बजट में है।
कसाब पर हो रहे खर्च को सही ठहराते हुए महाराष्ट्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'जब राज्य और देश की सुरक्षा का सवाल आएगा तो हम आर्थिक हालत की चिंता नहीं करेंगे।' कसाब पर हो रहे खर्च के बारे में अधिकारी ने कहा, 'सबसे ज़्यादा पैसा आर्थर रोड जेल में उस स्पेशल सेल को बनाने में किया गया है जिसमें कसाब को कैद रखा गया है। यह सेल इतना मजबूत है कि अगर ट्रक में विस्फोटक लादकर इसमें टक्कर मारी जाए तो भी कसाब सुरक्षित रहेगा। कसाब की ज़िंदगी बचाने के लिए ऐसे उपाय करने जरूरी हैं ताकि मुंबई हमलों में पाकिस्तानी हाथ होने का सुबूत सुरक्षित रहे।'
मुंबई पुलिस की हालत खस्ता!
कई आतंकी हमले झेल चुकी मुंबई की पुलिस की हालत भी खस्ता है। मुंबई पुलिस को मिलने वाले सालाना बजट का 85 फीसदी सिर्फ मुंबई पुलिस के करीब 40 हजार कर्मियों की तनख्वाह पर खर्च होता है। यही वजह है कि मुंबई पुलिस के आधुनिकीकरण और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए ज़्यादा फंड बचता ही नहीं है। मुंबई पुलिस कर्मियों की यह शिकायत भी रही है कि उन्हें घोषणा किए जाने के बावजूद इनामी रकम नहीं मिलती है। 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट में दोषियों का पर्दाफाश करने वाले पुलिसकर्मियों अब तक घोषित इनाम की रकम नहीं मिली है। वहीं, 2003 के गेटवे ऑफ इंडिया और झावेरी बाज़ार बम धमाकों के केस को हल करने वाले पुलिसवालों को भी इनामी रकम का इंतजार है। ऐसे में मुंबई पुलिस के मनोबल को समझा जा सकता है।
सेक्रेट सर्विस पर मुंबई पुलिस का खर्च महज सालाना 50 लाख रुपये के आसपास है। मुंबई पुलिस में तैनात रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई पी सिंह ने कहा, 'सेक्रेट सर्विस के तहत मिलने वाला फंड खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और मुखबिरी पर खर्च किया जाता है। लेकिन इस मद में मिलने वाली रकम पर सिर्फ हंसा जा सकता है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुंबई पुलिस का खुफिया तंत्र कितना मजबूत है।'
आतंकी 'मेहमान'
कसाब को हत्या, हत्या की साजिश, देश के खिलाफ जंग छेड़ना, हत्या में सहयोग देने और गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई। लेकिन अभी तक फांसी नहीं दी गई है। वहीं, संसद पर हमले का दोषी अफजल गुरू आज भी जेल में है। अब भी वह फांसी का इंतजार कर रहा है। इसकी दया याचिका 2005 से लंबित है। इनकी सुरक्षा का बोझ सरकारी खजाने पर पड़ रहा है
महाराष्ट्र में सरकार राज्य के एक नागरिक पर सुरक्षा के नाम पर साल भर में महज 190 रुपये का बजट देती है। इसमें गृह विभाग पर किया जाने वाला सारा खर्च शामिल है। इसके उलट, मुंबई हमले के गुनहगार आतंकी अजमल अमीर कसाब की सुरक्षा पर एक साल में ही 31 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए थे। इस खर्च में कसाब की सुरक्षा कर रही आईटीबीपी का एक साल (वर्ष 2009-10) का करीब 11 करोड़ रुपये का बिल शामिल नहीं है। आईटीबीपी ने यह बिल महाराष्ट्र सरकार को दिया था, जिसे प्रदेश की सरकार ने केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेजा है।
इस साल हुई जनगणना के मुताबिक महाराष्ट्र की कुल आबादी करीब 11 करोड़ (11,23,72,972) है, जबकि महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग का कुल सालाना बजट (वित्त वर्ष 2011-12 के लिए) करीब 2100 करोड़ रुपये है। इस हिसाब से हर नागरिक की सुरक्षा के लिए साल भर में करीब 186 रुपये का ही प्रावधान बजट में है।
कसाब पर हो रहे खर्च को सही ठहराते हुए महाराष्ट्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'जब राज्य और देश की सुरक्षा का सवाल आएगा तो हम आर्थिक हालत की चिंता नहीं करेंगे।' कसाब पर हो रहे खर्च के बारे में अधिकारी ने कहा, 'सबसे ज़्यादा पैसा आर्थर रोड जेल में उस स्पेशल सेल को बनाने में किया गया है जिसमें कसाब को कैद रखा गया है। यह सेल इतना मजबूत है कि अगर ट्रक में विस्फोटक लादकर इसमें टक्कर मारी जाए तो भी कसाब सुरक्षित रहेगा। कसाब की ज़िंदगी बचाने के लिए ऐसे उपाय करने जरूरी हैं ताकि मुंबई हमलों में पाकिस्तानी हाथ होने का सुबूत सुरक्षित रहे।'
मुंबई पुलिस की हालत खस्ता!
कई आतंकी हमले झेल चुकी मुंबई की पुलिस की हालत भी खस्ता है। मुंबई पुलिस को मिलने वाले सालाना बजट का 85 फीसदी सिर्फ मुंबई पुलिस के करीब 40 हजार कर्मियों की तनख्वाह पर खर्च होता है। यही वजह है कि मुंबई पुलिस के आधुनिकीकरण और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए ज़्यादा फंड बचता ही नहीं है। मुंबई पुलिस कर्मियों की यह शिकायत भी रही है कि उन्हें घोषणा किए जाने के बावजूद इनामी रकम नहीं मिलती है। 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट में दोषियों का पर्दाफाश करने वाले पुलिसकर्मियों अब तक घोषित इनाम की रकम नहीं मिली है। वहीं, 2003 के गेटवे ऑफ इंडिया और झावेरी बाज़ार बम धमाकों के केस को हल करने वाले पुलिसवालों को भी इनामी रकम का इंतजार है। ऐसे में मुंबई पुलिस के मनोबल को समझा जा सकता है।
सेक्रेट सर्विस पर मुंबई पुलिस का खर्च महज सालाना 50 लाख रुपये के आसपास है। मुंबई पुलिस में तैनात रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई पी सिंह ने कहा, 'सेक्रेट सर्विस के तहत मिलने वाला फंड खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और मुखबिरी पर खर्च किया जाता है। लेकिन इस मद में मिलने वाली रकम पर सिर्फ हंसा जा सकता है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुंबई पुलिस का खुफिया तंत्र कितना मजबूत है।'
आतंकी 'मेहमान'
कसाब को हत्या, हत्या की साजिश, देश के खिलाफ जंग छेड़ना, हत्या में सहयोग देने और गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई। लेकिन अभी तक फांसी नहीं दी गई है। वहीं, संसद पर हमले का दोषी अफजल गुरू आज भी जेल में है। अब भी वह फांसी का इंतजार कर रहा है। इसकी दया याचिका 2005 से लंबित है। इनकी सुरक्षा का बोझ सरकारी खजाने पर पड़ रहा है
COURTESY DAINIK BHASKAR
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