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एवरीथिंग इज प्री-रिटन’ इन लाईफ़ (जिन्दगी मे सब कुछ पह्ले से ही तय होता है)।
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Thursday, February 3, 2011

0 भारत और चीन के बीच मध्यस्थतता करना चाहता है अमेरिका

अमेरिका उस बन्दर की तरह है जो दो बिल्लियों की रोटी की लिए लड़ाई को सुलझाने तो आता है, पर उनकी रोटी खुद खा जाता है |अमेरिका सभी देशो के बीच में दखलंदाज़ी करके अपनी स्वार्थ पूर्ति करता है., तथा उनकी सारी जानकारी एकत्रित करता है | और फिर उसके बाद अपना खुद के फायेदे के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करता है | आज सारी दुनिया  भारत को एशिया की महाशक्ति के रूप में देखते है, तो क्या हम अपने निर्णय खुद नहीं ले सकते | परन्तु अमेरिका और दुसरे पश्चिमी देशो को भारत की सबसे बड़ी कमजोरी पता चल गयी है की यहाँ के नेता भ्रष्टाचारी, स्वार्थी और बेईमान है, और सिर्फ बातें करते हैंकाम करना तो उन्हें आता नहीं| और खुद के स्वार्थ के लिए देश को बेच भी सकते हैं, इनके पास कोई राजनितिक इच्छाशक्ति नहीं हैबस इसी वजह से देश बर्बाद हो रहा है |
क्या अब वक्त नहीं आ गया हैऐसे नेताओं को सबक सिखाने का ! हम ऐसे नेताओं को संसद मैं चुन कर भेजे जिनके अंदर देश भक्ति का जज्बा होअपराधी छवि न हो, भरष्टाचार और किसी दुसरे क़ानूनी मुकदमे मैं न फसा हो.  जो सही मायनो मैं देश सेवा करना चाहता होन की इस देश को लूटना | १२० करोड़ आबादी वाले देश के नेता ऐसे हो सकते है? अभी भी वक्त है जागने का |

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