देश के सरकारी तंत्र में फैला भ्रष्टाचार अपने अंतर्विरोध की वजह से एक्सपोज हो रहा है. आज उद्योगपति के ख़िला़फ उद्योगपति, नेता के ख़िला़फ नेता, अधिकारी के ख़िला़फ अधिकारी, मीडिया के ख़िला़फ मीडिया, कोर्ट के ख़िला़फ कोर्ट, सब लड़ रहे हैं. जो अब तक देश को लूट रहे थे, अब आपस में लड़ रहे हैं. सवाल यह है कि देश चलाने वालों को जब भ्रष्टाचार के इस राक्षस के बारे में सब कुछ पता था तो वे अब तक चुप क्यों थे. सरकार को यह जवाब देना चाहिए कि भ्रष्टाचार की वजह से देश में जो ग़रीबी, अशिक्षा, बेरोज़गारी और पिछड़ापन है, उसे ख़त्म करने की कार्रवाई क्यों नहीं हुई. या फिर यह मान लिया जाए कि सरकारी कुर्सी पर बैठे सभी लोगों ने देश को स़िर्फ लूटने का काम किया है. हमारा सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार की वजह से सड़ चुका है\
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