नई दिल्ली दुकान दालों व मसालों की, पर चालान हुआ बालूशाही कम तौलने का। इसे नाप तौल विभाग के अधिकारियों की लापरवाही कहें या फिर जेब गर्म करने की हड़बड़ी। अधिकारियों ने चालान करने में इतनी तेजी दिखाई कि वे मिठाई व दाल-मसालों की दुकान में अंतर करना ही भूल गए। मामला बाबरपुर का है। बालूशाही को निर्धारित वजन से कम बेचने का आरोप दुकानदार पर लगाया गया है, लेकिन दुकान मिठाई की नहीं, बल्कि दाल व मसालों की है। दुकानदार ने मामले की शिकायत आला अधिकारियों से की तो अधिकारियों ने चालान को रद नहीं किया। उसने मुख्यमंत्री कार्यालय का दरवाजा खटखटाया है। विजय कुमार की बाबरपुर की गौतम गली में दालों व मसालों की दुकान है। उन्होंने 7 अगस्त, 2009 को नापतौल विभाग में क्षेत्र के इंस्पेक्टर द्वारा बिना चेकिंग के वजन तौलने वाले बट्टे पास किए जाने का घपला उजागर किया था। इस मामले में विभागीय जांच बैठी और कई अधिकारी जांच के दायरे में आए थे। जांच के फेरे में आए कुछ अधिकारियों ने उसे परेशान करने और बदला लेने की नीयत से 18 नवंबर, 2010 को बालूशाही का चालान काट कर भेज दिया। चालान रसीद में बताया गया कि विभाग के इंस्पेक्टर द्वारा चेकिंग के दौरान वह बालूशाही मिठाई वजन से कम तौल कर ग्राहक को देता पाया गया। उसने कभी मिठाई की दुकान की ही नहीं। चालान में उसकी दुकान का नाम शर्मा स्वीट्स बताया है, जबकि दुकान विजय सरल स्टोर के नाम से है। उसने मामले की शिकायत विभाग के आला अधिकारियों को की, मगर चालान रद नहीं किया गया। विजय कुमार ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से मिलकर न्याय की गुहार लगाई है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने उसकी शिकायत के संदर्भ में नापतौल विभाग के अधिकारी ओपी पांडेय को जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं!
Courtesy Dainik jagran
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