यह हमारी पारंपरिक प्रेम सौहार्द्र वाली नीति ही है कि भारत को कभी भी राष्ट्रीय हितों को लेकर उग्र नीति अपनाने वाले देशों में नहीं गिना गया. इससे यह डर लगता है कि अन्य राष्ट्रों के बीच हमारी छवि कमज़ोर देश की न बन जाए, जो अपने हितों की रक्षा करने में भी ढुलमुल रवैया अपनाता है. आजतक हमें अपने हितों की पैरवी के लिए आक्रामक रुख़ अपनाते नहीं देखा गया, जबकि चीन को अपने हितों पर चोट पहुंचाने वाले किसी भी मामले पर उग्र रूप अपनाने वाले देशों में गिना जाता है. हम जब तक शक्तिशाली राष्ट्र की तरह से पेश आना नहीं सीखेंगे, ऐसे प्रश्नों से दो चार होना ही पड़ेगा.
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