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Friday, September 24, 2010

2 घूस देकर हासिल की मेजबानी

अब भारत को मेजबानी मिलने पर उठे सवाल 
घपलों और लापरवाही के चलते सुर्खियों में आ चुके दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी पर भी सवाल उठ रहे हैं। एक ऑस्ट्रेलिया अख़बार ने दावा किया है कि भारत ने घूस देकर कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी हासिल की थी। वहीं, ऑस्ट्रेलिया की ओलंपिक कमेटी का कहना है कि भारत को मेजबानी दी ही नहीं जानी चाहिए थी। गौरतलब है कि साफ-सफाई की कमी को लेकर हुई तीखी आलोचनाओं के बाद आखिरी कुछ दिनों में कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारी से जुड़ी खामियों को दूर करने और अपना घर सजाने-संवारने में भारत जुटा हुआ है। दिल्ली में 3 से 14 अक्टूबर के बीच कॉमनवेल्थ खेल होने हैं।
घूस देकर हासिल की मेजबानी
ऑस्ट्रेलियाई अख़बार 'डेली मेल' ने दावा किया है कि कॉमनवेल्थ देशों में शामिल 72 देशों को करीब 44-44 लाख रुपये घूस देकर कनाडा को पछाड़ा था। कनाडा का हैमिल्टन शहर भी 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी की रेस में शामिल था। 
डेली मेल के मुताबिक, 'भारत ने घूस देकर मेजबानी की हो़ड़ में कनाडा को पिछाड़ा था। अख़बार ने यह भी दावा किया कि ऑस्ट्रेलिया को भारत से करीब सवा लाख डॉलर करीब 55 लाख रुपये मिले थे। भारत के प्रतिनिधियों ने जमैका में 2003 में कॉमनवेल्थ की मेजबानी के लिए लगी बोली के दौरान 72 देशों को एथलीट ट्रेनिंग स्कीम के तहत 44-44 लाख रुपये देने कीपेशकश कर मेजबानी हासिल की थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की ओर से जो राशि सभी देशों को दी गई, वह ऑस्ट्रेलिया के लिए ज़्यादा अहम नहीं थी क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने पहले से ही भारत को वोट देने का निर्णय कर लिया था और भारत से मिलने वाली रकम भी बहुत ज़्यादा नहीं थी। लेकिन कॉमनवेल्थ खेलों में कोई दिलचस्पी नहीं रखने वाले छोटे देशों ने भारत को वोट दिया जिससे दिल्ली ने हैमिल्टन को 46-22 के अंतर से हराते हुए बोली जीत ली। दिलचस्प बात यह है कि हैमिल्टन ने भी करीब 30 लाख रुपये बतौर घूस देने की पेशकश की थी।

'
भारत को नहीं मिलनी चाहिए थी मेजबानी'
ऑस्ट्रेलियन ओलंपिक कमेटी (एओसी) के प्रेजिडेंट जॉन कोट्स ने कहा है कि भारत को कॉंमनवेल्थ खेलों की मेजबानी दी ही नहीं जानी चाहिए थी। कोट्स ने कहा कि कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारी में बरती गई लापरवाही के चलते 3 से 14 अक्टूबर तक होने वाले खेलों की छवि पर बट्टा लगा है। कोट्स ने कहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन को इन तैयारियों में ज़्यादा सक्रियता दिखानी चाहिए थी। असल समस्या है कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन में संसाधनों की कमी। सीजीएफ के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि जिससे वह आयोजन कर रहे शहर पर ओलंपिक कमेटी की तरह नज़र रख सके।

कोट्स ने कहा कि अगर इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी कॉमनवेल्थ की तैयारियों को देख रही होती तो काम बेहतर होता। लेकिन कोट्स ने कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा लेने के मसले पर कुछ बोलने से मना कर दिया। गौरतलब है कि कॉमनवेल्थ खेलों से यूसैन बोल्ट, क्रिस हॉय और आसफा पॉवेल जैसे खिलाड़ी हट चुके हैं।
Source: Bhaskar agency

2 comments:

  1. देखते जाईये, अभी कई खुलासे होने बाकि हैं.

    इन्तेज़ार करेंगे - हम लोग.

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  2. बहुत ही बढ़िया लगा लेख पढ़कर ........
    देख तेरे देश की हालत क्या हो गयी भगवन ....

    कृपया इसे भी पढ़े :-
    क्या आप के बेटे के पास भी है सच्चे दोस्त ????

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