दुनिया के एक चौथाई के आसपास देश ऐसे हैं जहाँ पर घोषित या अघोषित रूप से तानाशाही शासन स्थापित है. इनमें से भी कुछ देश ऐसे हैं जहाँ ऊपरी चमक दमक तो काफी दिखाई देती है परंतु वहाँ के मूल नागरिकों का जीवन नर्क से कम नहीं है. ऐसे ही सात देश –
उत्तर कोरिया
कहा जाता है कि उत्तर कोरिया के लोगों को पता ही नहीं कि स्वतंत्रता क्या होती है. फ्रीडम हाउस की रैंकिंग के हिसाब से वहाँ के नागरिक सबसे कम स्वतंत्र हैं. वहाँ 1994 से किम जोंग द्वितीय का शासन चल रहा है, जिन्हें चुनौती देने वाला कोई नहीं है. जो है भी वो गुप्त जेलों में बंद है और यातनाएँ भोग रहे हैं. किम जोंग द्वितीय के पास सारी सत्ता है और उसने अपना एकछत्र राज स्थापित किया हुआ है. उत्तर कोरिया में लोगों के जीवन से जुडी हर बात जैसे कि शिक्षा, रोजगार, निवास का स्थान, चिकित्सकीय सुविधा, रोजमर्रा के जीवन के जरूरी सामान की खरीददारी आदि सबकुछ सरकार तय करती है. इसमें उन लोगों को प्राथमिकता मिलती है जो किम जोंग द्वितीय के गुणगान गाते हैं.
बर्मा यानी म्यानमार के लोगों का जीवन भी बदतर कहा जा सकता है. वहाँ कोई नागरीक कानून नहीं है. बर्मा की सैन्य जुंता का एकछत्र शासन देश पर चल रहा है. जनरल थान शु के नैतृत्व में जुंता ने अपने हर विरोधी की आवाज को कुछलना सीख लिया है. नागरिक अधिकारों की हिमायती आंग सान सु की पिछले 19 वर्षों से या तो जेल में होती है या नजरबंद होती है. मात्र दिखावे के लिए जुंता ने 1990 में आम चुनाव कराया था परंतु उसमें मूँह की खाने के तुरंत बाद उसने चुनाव नतीजों को अयोग्य करार दिया. अब एक बार फिर "लोकतंत्र" वापस लाने के लिए चुनाव कराए जाने हैं परंतु उससे पहले जुंता यह तय कर लेना चाहती है कि कोई भी सरकार विरोधी चुनाव ना जीत सके.
गीनिया
गीनिया में टियोरो बासोगो देश के राष्ट्रपति के रूप में शासन कर रहे हैं. गीनिया मे कभी भी सर्व स्विकृत आम चुनाव नहीं हुई. गीनिया अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है और दुनिया का एक सबसे भ्रष्ट देश भी. यहाँ लोगों के पास खाने की तंगी है परंतु राष्ट्रपति सहित आला अफसर अति वैभवपूर्ण जीवन जीते हैं. राष्ट्रपति स्वयं तेल उत्पादन व्यापार में शामिल हैं और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं.
सोमालिया
सोमालिया एक ऐसा देश हैं जहाँ वास्तव में कोई सरकार है ही नहीं. कहने को वहाँ इथोपीया समर्थित ट्रांसिशनल फेडरल सरकार कार्यरत है परंतु वास्तविकता यह है कि उसकी देश पर कोई पकड़ ही नहीं है. सोमालिया में कोई मजबूत राजनितिक दल नहीं है और वहाँ का काम काज स्थानीय कबीलों और गुटों के द्वारा ही चलता है. सोमालिया वास्तव में एक देश में कई देश के समान है. वहाँ के नागरिक बदतर जीवन जीते हैं और महिलाओं की हालत तो नर्क के जीवन से भी बुरी है. वहाँ कट्टर इस्लामिक तत्वों का बोलबाला है जो अन्य लोगों पर अमानवीय अत्याचार करते हैं. अल शबाब नामक आतंकवादी समूह के लोग देश पर वास्तविक राज करते हैं.
सुडान
सुडान अफ्रीका महाद्विप का सबसे बडा देश है और यह देश गृहयुद्ध से घिरा हुआ है. सुडान को 1956 में ब्रिटेन और इजिप्त से आज़ादी मिली परंतु लोगों का जीवन बंदी के रूप में जारी रहा. तब से आज तक सुडान में गृहयुद्ध जारी है. 1989 में हुई सैन्य बगावत के बाद वर्तमान राष्ट्रपति हसन अल बशीर सत्ता में आए थे. परंतु उनका शासन काल भी दमनकारी रहा. उधर दक्षिण सुडान के लोग अपने लिए अलग देश की मांग करने लगे और गृहयुद्ध और भी अधिक भड़क गया. कहा जाता है कि 2011 की शुरूआत में दक्षिण सुडान मे जनमत संग्रह कराया जाएगा और उसके बाद शायद दक्षिण सुडान एक अलग देश के रूप में स्थापित हो जाए. इसके बाद शायद सुडान के लोगो का जीवन कुछ बेहतर हो सके.
सुडान अफ्रीका महाद्विप का सबसे बडा देश है और यह देश गृहयुद्ध से घिरा हुआ है. सुडान को 1956 में ब्रिटेन और इजिप्त से आज़ादी मिली परंतु लोगों का जीवन बंदी के रूप में जारी रहा. तब से आज तक सुडान में गृहयुद्ध जारी है. 1989 में हुई सैन्य बगावत के बाद वर्तमान राष्ट्रपति हसन अल बशीर सत्ता में आए थे. परंतु उनका शासन काल भी दमनकारी रहा. उधर दक्षिण सुडान के लोग अपने लिए अलग देश की मांग करने लगे और गृहयुद्ध और भी अधिक भड़क गया. कहा जाता है कि 2011 की शुरूआत में दक्षिण सुडान मे जनमत संग्रह कराया जाएगा और उसके बाद शायद दक्षिण सुडान एक अलग देश के रूप में स्थापित हो जाए. इसके बाद शायद सुडान के लोगो का जीवन कुछ बेहतर हो सके.
चीन (तिब्बत)
ऊपर चमक दमक के पीछे चीन एक भयावह कहानी कहता है. चीन के कई इलाकों में रहने वाले लोग वास्तव में नर्क समान जीवन जीने को मजबूर हैं. उसमें भी तिब्बत प्रदेश के लोगों के पास वास्तव में थोडी भी आजादी नही है. चीन ने तिब्बत पर अपना कठोर सीकंजा कस रखा है. चीनी पुलिस और सेना तिब्बत के लोगो को कभी भी गिरफ्तार कर ले जाती है और उन पर अत्याचार किए जाते हैं. तिब्बत में लोगों को मुक्त रूप से घुमने फिरने की आज़ादी नही है और ना ही वहाँ के लोग समूह बना सकते हैं. 2008 में तिब्बत के लोगों ने चीनी साम्राज्य का विरोध करने के लिए आंदोलन किया था जिसे चीन ने कठोरता से दबा दिया. उसके बाद कई तिब्बती नेताओं को या तो मार दिया गया या जेलों में भर दिया गया.
उज़्बेकिस्तान
1991 मे सोवियत समूह के टूटने के बाद उज़्बेकिस्तान भी एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित हुआ. तब से आज तक वहाँ राष्ट्रपति इस्लाम कारिमोव का शासन चल रहा है. उनकी सरकार पर नागरिक कानूनों का हनन करने और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं परंतु सरकार इससे अविचलित रहती है. इस्लाम कारिमोव की पकड सँवैधानिक संस्थाओं से लेकर न्यायिक व्यवस्था तक है. वहाँ कोई प्रभावी विपक्षी दल नहीं है. सैंकडो की संख्या में विरोधी विचारधारा वाले राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेलों में कैद कर रखा गया है. इसमें मशहूर कवि और राजनेता युसूफ जुमा, एड्स निरोधी अभियान चलाने वाले माक्सिम पोपोव, और बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले गोनिहोन मामाथानोव भी शामिल है.
THANKS AND COURTESY BY TARAKASH
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