हमारे राजनीतिक दल जातिगत गणना की मांग कर रहे हैं तो इसके पीछे उनके स्वार्थ सभी को मालूम हैं। जातियों के आंकड़े मालूम होने पर जाति विशेष के फायदे के काम अधिक संख्या में होंगे। इससे वोट बैंक की राजनीति और बढ़ेगी तथा कई समस्याएं सामने आएंगी। क्या यह समाज और देश को तोड़ने का काम नहीं है?
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