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Monday, August 2, 2010

0 "टेक्स हेवन" देश और काले धन का गोरखधंधा

एक उदाहरण देखें. एक कम्पनी भारत में सूचिबद्ध है. उसे भारत में व्यापार करने के लिए विभिन्न प्रकार के असंख्य कर चुकाने होते हैं. यही कम्पनी किसी टेक्स हेवन के रूप में चिह्नित देश जैसे कि मोरिशयस में एक और कम्पनी खोल लेती है.
 
इसके बाद मोरिशियस की कम्पनी भारत में स्थित मूल कम्पनी का अधिग्रहण कर लेती है. मोरिशयस में चुँकि टेरिटोरियल सिस्टम ऑफ टेक्सेसन है इसलिए उस कम्पनी को मात्र अपने मोरिशयस में होने वाले व्यापार के लिए कर चुकाना होता है, वह भी मामूली. परंतु भारत में होने वाले व्यापार के लिए कोई कर चुकाना नहीं पड़ता और इस तरह से वह कम्पनी भारी मुनाफा कमाती है परंतु कर नहीं चुकाती. 

एक और उदाहरण. मोरिशियस स्थित कम्पनी किसी भारतीय कम्पनी को शेयर बेच देती है. उसे भारत में कोई कर नहीं चुकाना पड़ता. दूसरी तरफ मोरिशियस जैसे टेक्स हेवन देश में केपिटल गैन टेक्स ही नहीं है. इसलिए उस कम्पनी को वहाँ भी कोई कर नहीं चुकाना पड़ता. 

यह टेक्स हेवन देशों में जारी गोरखधंधों के उदाहरण हैं, और आईपीएल में इसका व्यापक स्तर पर उपयोग किया गया है. आईपीएल में तथा आईपीएल की फ्रेंचाइज़ी टीमों में कहाँ से, किसने और किस तरह से पैसे लगाए यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है और बहुत कम सम्भावना है कि इस भूलभूलैया को कभी सुलझाया जा सके. यह एक ऐसा जाल है जो दुनिया भर में फैला हुआ है और यह जितना दिखता उससे कहीं अधिक छिपा हुआ है. आईपीएल और उसके निलम्बित गवर्नर ललित मोदी पर आरोप है कि टेक्स हेवन देशों के नियमों की आड़ में उन्होनें अरबों रूपयों के घोटाले किए हैं और स्वजनों को फायदा पहुँचाया है. 

टेक्स हेवन देश:
टेक्स हेवन देश वे देश होते हैं जहाँ की सरकार विदेशी पूंजी निवेश को बढावा देने के लिए तरह तरह की भारी छूटें देती हैं. इन देशों में विदेशी व्यापार पर काफी कम कर वसूला जाता है. इसलिए जिन देशों में करों की दर काफी अधिक होती है [भारत सहित] वहाँ की कम्पनियाँ इन देशों में अपनी शाखाएँ खोल लेती है और उसके बाद ना-ना प्रकार से करों की बचत करती हैं. यही नहीं इन देशों में निवेश की जारी रही पूंजी के विषय में कोई सवाल नहीं किए जाते यानी कि यह पूछने वाला कोई नहीं होता कि जो पैसा निवेश किया जा रहा है वह कहाँ से आया. इससे काले धन को आसानी से सफेद बनाया जा सकता है. 

इन देशों की सरकारें अपने देश में स्थापित हो रहे नए उद्योगों को प्रोत्साहित करने के हर कदम उठाती हैं. उन्हें बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों की समस्त सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध कराई जाती हैं. कर काफी कम होते हैं और उनकी दर भी काफी कम होती है इसलिए कम्पनी के लिए अपनी बैलेंस शीट को सुधारने का मौका मिल जाता है.
 
दूसरी तरफ यदि उस कम्पनी के मूल देश में यदि उस कम्पनी के ऊपर कोई जाँच की जाए तो उससे संबंधित आँकड़े किसी टॆक्स हेवन देश से प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है. कई देशों ने इस तरह के नियम बना रखें है जिससे वहाँ व्यापार कर रही कम्पनियों की समस्त वित्तिय जानकारी गुप्त रखे जाने का प्रावधान है. 

दुनिया में कुछ टेक्स हेवन देश जहाँ काफी व्यापारिक गतिविधियाँ होती हैं वे हैं - मोरिशियस, सिंगापुर, स्वित्ज़रलैंड, बरमुडा, मकाऊ, दुबई आदि. 

तरीका:
टेक्स हेवेन देशों में व्यापार करने और कर बचाने के कई तरीके हैं. इनमें से प्रमुख तरीके इस प्रकार से हैं –

जगह बदल लेना:
20वीं शताब्दी के बाद से अधिक कर लगाने वाले देशों के नागरिकों के द्वारा कम अथवा कर ना लगाने वाले देशों में स्थाई हो जाने का चलन बढा है. कर चोरी के मामले में फँसे लोग किसी ऐसे देश में स्थायी हो जाते हैं जो उन्हें सुरक्षा प्रदान करे. उनके लिए वहाँ रहना जरूरी नहीं, वे बस नागरिकता ले लेते हैं.
 
सम्पत्ति का स्वामित्व ट्रस्ट को सौंपना:
सम्पत्ति को कर से बचाने के लिए यह तरीका अपनाया जाता है. किसी भी टेक्स हेवेन देश में कोई ट्रस्ट बनाया जाता है जिसका मुख्य ट्रस्टी जो होता है वह अपने घर या अन्य सम्पत्ति का मालिकाना हक उस ट्रस्ट के नाम कर देता है. इस तरह से उस सम्पत्ति पर लगने वाला कर बच जाता है और इस तरह के ट्रस्ट नियम बनाए जाते हैं कि मुख्य ट्रस्टी की मृत्यु के बाद उस ट्रस्ट उसके शेयर उसकी संतान के पास चले जाएँ. 

ट्रेडिंग करना:
कुछ व्यापार ऐसे होते हैं जिनके लिए किसी एक भौगोलिक स्थान की आवश्यकता नहीं रहती. उदाहरण के लिए बिमा कम्पनियाँ. ये कम्पनियाँ कर बचाने के लिए अपना मुख्यालय किसी टेक्स हेवेन देश में ले जाती हैं.
 
निवेश:
आज के बड़े उद्योगों के लिए निवेश बैंकिग कम्पनियों, म्यूचुअल फंड, संस्थागत निवेशकों से आता है. वे लोग ये पैसा किसी टेक्स हेवेन देश में जमा करते हैं. और फिर वहाँ से उन पैसों का निवेश किया जाता है. यह पैसा उस देश में कहाँ से आया यह कोई नहीं पूछता. 

आईपीएल टीमें और पैसों का लेनदेन:
आईपीएल और उसकी टीमों के बारे में हर दिन नित नई जानकारियाँ प्राप्त हो रही हैं और नए नए खुलासे होते जा रहे हैं. इन खुलासों पर गौर करें तो यह धारणा और भी मजबूत होती है कि आईपीएल में जितना पर्दे के ऊपर दिखता है उससे कहीं अधिक पर्दे के पीछे छिपा हुआ है. उदाहरण के लिए राजस्थान रोयल्स टीम के मालिक के बारे में यदि किसी आम आदमी से पूछा जाए तो उसका जवाब होगा शिल्पा शेट्टी. जबकि वास्तविकता यह है कि शिल्पा शेट्टी ने टीम में प्रत्यक्ष निवेश भी नहीं किया है. राजस्थान रोयल्स की असली मालिक इमर्जिंग मीडिया स्पोर्टिंग है जो मोरिशियस में पंजीकृत है. उस कम्पनी का 44% हिस्सा ललित मोदी के साडु सुरेश चेलारमानी के पास 32% हिस्सा मोदी के नजदीकी मनोज बडाले के पास है ऐसी खबर है. शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा के पास 11 से 15% हिस्सा ही है. परंतु असली मालिक वे और उनकी पत्नी शिल्पा ही लगते हैं.
 
कुछ यही हाल किंग्स इलेवन पंजाब और केकेआर का भी है. जहाँ टीवी पर चेहरे अलग हैं और पर्दे के पीछे का संचालन किसी अन्य के पास.
THANKS AND  COURTESY BY TARAKASH

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