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Sunday, July 31, 2011

0 सीबीआई निष्पक्ष एजेंसी है पर इसमें रतन टाटा और नीरा राडिया को छूने की हिम्मत नहीं

नीरा राडिया और रतन टाटा पर क्यों मेहरबानी, अपराधी तो वे भी हैं : नई दिल्ली: 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के आरोप में जेल में बंद पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा के पूर्व निजी सचिव आर.के. चंदोलिया ने टाटा और कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि वह अपराधी हैं तो इन दोनों को भी इस मामले में अपराधी माना जाना चाहिए। चंदोलिया ने अपने ऊपर लगे आरोपों का विरोध करते हुए अपनी दलील शुरू की। उन्होंने कहा कि वह सरकारी अधिकारी थे और अपने वरिष्ठों के आदेशों का अनुपालन किया था।
चंदोलिया के वकील विजय अग्रवाल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के न्यायाधीश ओ.पी. सैनी के समक्ष कहा, "सौदा राडिया और टाटा के बीच हुआ। लेकिन वे जेल में नहीं हैं, जबकि मेरे मुवक्किल, जो इसमें शामिल नहीं थे, कठघरे में हैं।" उन्होंने जोर देते हुए कहा, "यदि मेरे मुवक्किल ने अपराध किया है तो टाटा और राडिया ने भी किया है।" वकील ने दलील दी कि चंदोलिया ने केवल राजा के आदेश का अनुपालन किया। उन्होंने कहा, "राजा ने राडिया की मदद ली थी और मेरे मुवक्किल ने उनके आदेशों का मात्र पालन किया था।"
अग्रवाल ने कहा, "राडिया ने उस वक्त दफ्तर में फोन किया था, जिसे मेरे मुवक्किल ने उठाया। वह राजा से बात करना चाहती थीं। लेकिन वह नहीं थे, जिसके बाद उन्होंने चंदोलिया से राजा को यह बताने के लिए कहा कि केटीवी समस्या का समाधान हो गया।" उन्होंने जोर देकर कहा, "मेरे मुवक्किल ने केवल वही संदेश दिया, जो उन्हें बताया गया। वह साजिशकर्ता कैसे हो सकते हैं?"
वकील ने राजा के कथित सहयोगी और अभियोजन पक्ष के एक गवाह आशीर्वाथम आचारी पर भी निशाना साधा जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने राजा और राडिया के बीच संवाहक की भूमिका निभाते हुए कलैगनार टीवी को टाटा स्काई डीटीएच बुके पर लाने के लिए साजिश रची थी। अग्रवाल ने टाटा, राडिया और आचारी को आरोपी नहीं बनाए जाने पर सवाल उठाते हुए अदालत में कहा, "बातचीत के टेप में जब नीरा राडिया ने सौदे का जिक्र किया तब आचारी ने उससे पूछा कि वह किसके बारे में बात कर रही थीं। इससे स्पष्ट है कि उसे राजा के प्रयास से कलैगनार टीवी और टाटा के बीच हुए सौदे की जानकारी थी।"
उन्होंने कहा कि यह वही आचारी है जो पिछले 12 वर्षो से राजा के साथ रहा है। अग्रवाल ने सवाल किया, "आचारी ने राडिया और टाटा के बीच सौदा तय करने में मदद की थी..तब वह जेल में क्यों नहीं है?" वकील ने सीबीआई की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा, "हम सभी जानते हैं कि सीबीआई निष्पक्ष एजेंसी है, लेकिन इसमें टाटा और राडिया को छूने की हिम्मत नहीं है।" उन्होंने कहा, "उन्होंने जांच के एक साल बाद मेरे मुवक्किल को बांध रखा था, क्योंकि सीबीआई अन्य अधिकारियों के साथ यह कहकर मोल-भाव कर रही थी कि या तो आप गवाह बन जाइए और चंदोलिया के खिलाफ साक्ष्य पेश कीजिए या आरोपी बन जाइए।"
साभार : इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

Saturday, November 27, 2010

0 टाटा से बोली राडिया- राजा तो कनिमोझी के पीछे पागल है

 टाटा घराने को आम धारणा में काफी बेदाग और ईमानदार उद्योग समूह माना जाता है। मगर नीरा राडिया की दलाल सेवाएं लेने की जरूरत रतन टाटा को भी पड़ गई। वैसे नीरा राडिया भी कच्ची गोलियां नहीं खेली है और रतन टाटा के बारे में काफी कुछ जानती है। रतन टाटा जानते हैं कि नीरा जानती है इसलिए दुनिया के कोने कोने से नीरा राडिया को फोन कर के गप लड़ाते रहते हैं।

नीरा राडिया किस कदर टाटा के फायदे के लिए नीतियों को प्रभावित करने, बदलवाने का काम करती हैं, वो इन आडियो टेप को सुनकर समझा जा सकता है। धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने वाली नीरा राडिया के लिए रतन टाटा हर समय उपलब्ध रहते हैं. वे चाहें विदेश में हों या देश में, नीरा राडिया के फोन को वो तुरंत पिक करते हैं. साथ ही, वे नीरा राडिया के नखरे भी झेलते हैं. पहले टेप, जो 7 जुलाई 2009 का है, में हुई बातचीत के कुछ अंश का हिंदी अनुवाद दे रहे हैं.

नीरा राडिया- मीडिया में भगदड़ मची है कि रतन टाटा को एयर इंडिया की अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समीति का अध्यक्ष बनाया जा रहा है।
रतन टाटा- सही है मगर अभी तक कुछ हुआ नहीं है। एयर इंडिया के सीईओ जाधव मिलने जरूर आए थे।
नीरा- जाधव? वही तो प्रफुल्ल पटेल का आदमी है और बोइंग वाला सौदा करने के लिए लाया गया है। इसीलिए ये लोग तुम्हारा नाम इस्तेमाल करना चाहते हैं क्योंकि इससे इनकी साख बनी रहेगी। मेरे पास टाइम्स ऑफ इंडिया से फोन आया था और मैंने कह दिया कि फिलहाल मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगी।
टाटा- सही है जब कुछ हो नहीं जाए तब तक तो यही कहना पड़ेगा। तुम बता रही थी कि प्रफुल्ल ने तो आधिकारिक तौर पर कह दिया है कि रतन टाटा को हम अपने साथ शामिल कर रहे हैं। अच्छा है, उसे खुद बोलने दो।
नीरा- हम तो बस नो कमेंट ही करते रहेंगे। तुम लंदन पहुंच गए क्या?
टाटा- अभी तो तेल अबीब में पड़ा हूं, जहाज दो घंटे लेट है और देखते हैं, कब उड़ता है।
नीरा- तुम्हें तो अपने जहाज में ही उड़ना चाहिए। वैसे भी कल कोई प्रोग्राम है न।
टाटा- लंदन में है जहां मुझे काली टाई यानी एकदम फॉर्मल सूट पहनना पड़ेगा। तुम्हे तो पता है कि मुझे ऐसे कपड़े कितने पसंद हैं।
नीरा- मुझे भी बुला लेते तो मैं अपना काला गाउन पहन सकती थी।
टाटा- अच्छा होता कि तुम ही मेरी जगह काला गाउन पहन कर चली जाती, मगर अब तो बहुत देर हो गई है।
नीरा- मुझे तो अपना काला गाउन पहनने का मौका ही नहीं मिलता, रतन तुम कुछ करो ना।
टाटा- मुंबई में मौका निकालेंगे। वहां तुम अपनी हसरतें पूरी कर लेना। वैसे गाउन रखा कहां है, लंदन में या बॉम्बे में?
नीरा- दिल्ली में मेरे पास रखा है, मैं हमेशा अपने साथ रखती हूं मगर पहनने का मौका ही नहीं मिलता।
टाटा- अब जब तुम हिलेरी क्लिंटन से मिलो या मैं बताऊंगा कि कौन काले गाउन के लिए ठीक रहेगा तब इसको पहनना। तब तक ठीक से रखो।
नीरा- मैं तो तभी पहनूंगी जब अगली तुम काला सूट पहनोगे (इठला कर)। मुझे बुलाओगे न? अरे हां, एटी एंड टी ने अनिल अंबानी के साथ सौदा खत्म कर दिया है। हुआ ये कि मुकेश ने अपना अमेरिका वाला वकील यह चिट्ठी लिख कर भेजा कि सबसे पहले इनकार करने का अधिकार मुकेश के पास है और उधर से जवाब आया कि अभी वे मामले पर विचार कर रहे हैं। मुकेश अब चाइना पावर से अपनी कंपनी के लिए बिजली की बात कर रहा है।
टाटा- चाइना पावर इस सौदे में शामिल होगा, इस पर मुझे शक है क्योंकि वो लोग काफी पुराने ढंग से सोचते हैं। वैसे भी सुना है कि मुकेश दूसरी पार्टी को दस परसेंट ही दे रखा है। अगर यही सौदा मुकेश के साथ हम कर रहे होते तो वह कभी नहीं करता। उन्हें तो हर चीज पर पूरा कंट्रोल चाहिए। वैसे भी मैं इसमें नहीं पड़ने वाला। मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है।
नीरा- लेकिन फिलहाल तो वो फंसा हुआ है। उसने टेलीकॉम स्पेस ले लिया। एंटी एंड टी ने मना कर दिया, एमटीएन ने मना कर दिया, ऑस्ट्रेलिया की टालेस्टा ने मना कर दिया। अब क्यू टेल से बात करने के अलावा और कोई चारा नहीं हैं। और हां, राजा बता रहा था कि अब तुम्हारे लिए भी स्पेक्ट्रम नहीं बचा है। जब कोर्ट का आदेश नहीं मिलेगा और रक्षा मंत्रालय स्पेक्ट्रम खाली नहीं करेगा तब तक अपना काम नहीं बनेगा। यह होना मुश्किल है, मैं आज राजा से मिली थी। वो बड़ा खुश नजर आ रहा था। चीफ जस्टिस के फैसले के बाद तो उसकी खुशी समझ में आती है। जब मैंने उसे बताया कि चिट्ठी और चेक उसके पास आ रहा है तो और खुश हो गया।
टाटा- क्या वो जानता है कि दूसरी पार्टी उसे निपटाने पर तुली है।
नीरा- उसे पता है और वो मीडिया में मुझसे मदद मांग रहा है और मैं मदद कर रही हूं। दिक्कत सिर्फ यह है कि जब भी उसकी मदद करने की कोशिश करो तो वह कहीं भी जा कर कुछ उल्टा सीधा बोल देता है। उसका अपनी जुबान पर काबू ही नहीं है। अब सबसे नई खबर यह है कि कनिमोझी और राजा का चक्कर चल रहा है।
टाटा- सही है क्या?
नीरा- एकदम नहीं। कोरी अफवाह है। वो तो राजा मीडिया के सामने कनिमोझी के बारे में बड़ी प्यार भरी बातें करता है और इसीलिए सारा लफड़ा खड़ा हो जाता है। राजा की बातों से लगता है कि वो कनिमोझी को प्यार करता है और कनिमोझी उसे भाव नहीं देती। राजा को डर भी नहीं लगता कि उसकी बीबी उसे पीटेगी। कनिमोझी मुझे कहती है कि मुझे राजा से बचाओ। राजा की आंखों में साफ नजर आता है कि वो कनिमोझी का दीवाना है। एक बात और, मेरी नई जगुआर कार शनिवार को आ रही है।
टाटा- मुबारक हो।
रतन टाटा की नीरा राडिया से पूरी बातचीत को इन दो आडियो प्लेयरों के जरिए सुनिए. दूसरे आडियो प्लेयर में शुरुआत में नीरा की किसी और से बातचीत होती है और उसके कुछ देर बाद रतन टाटा से बातचीत होने लगती है. नीरा स्पेक्ट्रम के मसले पर काफी कुछ टाटा को ब्रीफ करती दिख रही हैं. 

Courtesy – B4M-लेखक आलोक तोमर जाने-माने पत्रकार अपनी बहुमूल्य टिपण्णी देना न भूले- धन्यवाद .

Wednesday, November 17, 2010

3 टाटा रिश्वतखोर मंत्री का नाम क्यों नहीं खोलते !

 देहरादून में एक कार्यक्रम में टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने कहा- ''वर्षों पहले मुझसे एक केंद्रीय मंत्री ने करोड़ों रुपये रिश्‍वत मांगी थी. तब टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइंस के सहयोग से घरेलू एयरलाइंस स्‍थापित करने में जुटा था. एयरलाइन इंडस्‍ट्री में सबसे आगे रहने के बावजूद टाटा ग्रुप को यह परियोजना शुरू करने में काफी मुश्किलें पेश आ रही थीं. इस बात को मीडिया ने उठाया. तब हमने तीन प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की लेकिन किसी ने हमारी कोशिशों को बढ़ावा नहीं दिया. बाद में एक उद्योगपति ने आकर मुझसे कहा कि तुम बेवकूफ हो, केंद्रीय मंत्री 15 करोड़ रुपये की रिश्‍वत मांग रहा है, उसे क्‍यों नहीं दे देते, काम हो जाएगा. लेकिन मैं रिश्‍वत नहीं देना चाहता था और मैंने ऐसा ही किया. 10-12 साल पहले हुई इस घटना के बाद एयरलाइंस खोलने का मेरा सपना अधूरा ही रह गया.''

रतन टाटा ने केंद्रीय मंत्री के नाम का खुलासा तो नहीं किया लेकिन इतना जरूर कहा कि देश में भ्रष्टाचार और बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती है. रतन टाटा उत्‍तराखंड के गठन के 10 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित '21वीं सदी में भारत-अवसर और चुनौतियां' विषय पर बोलने के बाद लोगों के सवालों का जवाब दे रहे थे. रतन टाटा के खुलासे पर कई मीडिया विश्लेषकों का कहना है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा खुद रतन टाटा जैसे लोग दे रहे हैं जो रिश्वत मांगने वालों के नाम का खुलासा नहीं करते और अपनी कंपनियों के काम कराने को अफसरों-मंत्रियों को पटाने के लिए अपनी कंपनियों में बाकायाद एक अलग विभाग बनाकर रखते हैं और कई बाहरी एजेंसियों की सेवाएं लेते हैं. पिछले दिनों कुख्यात दलाल नीरा राडिया को लेकर जो चर्चाएं शुरू हुईं उसमें यह भी पता चला था कि टाटा समूह टेलीकाम मिनिस्टर अपनी पसंद का आदमी चाहता था. तो क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है कि अपनी कंपनी को फायदा दिलाने के लिए अपनी पसंद के नेता को मंत्री बनवाने के लिए लाबिंग की जाए.  Source : B4M
अपनी बहुमूल्य टिपण्णी देना न भूले- धन्यवाद .