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एवरीथिंग इज प्री-रिटन’ इन लाईफ़ (जिन्दगी मे सब कुछ पह्ले से ही तय होता है)।
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Saturday, March 17, 2012

0 सचिन की जीत भारत की हार

 Congratulation सचिन for a milestone 

Sunday, April 3, 2011

0 Congratulation Team India

  'कांग्रेच्यूलेशन एंड ऑल द बेस्ट टू इंडियन टीम'


Monday, December 27, 2010

0 लक्ष्मण ने 5 साल और 55 मैच के बाद 5वां छक्का लगाया

डरबन। कलात्मक बल्लेबाजी के लिए प्रसिद्ध वीवीएस लक्ष्मण ने रविवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत की पहली पारी में तेज गेंदबाज डेल स्टेन पर स्क्वायर लैग क्षेत्र में छक्का लगाया जो 119वें टेस्ट मैच में उनका 5वां छक्का है। लक्ष्मण ने टेस्ट मैचों में यह 5वां छक्का लगाने के लिए लगभग 5 साल और 9 महीने इंतजार किया तथा इस बीच उन्होंने 55 मैच खेले। उन्होंने टेस्ट मैचों में अपना आखिरी छक्का पाकिस्तान के खिलाफ मार्च 2005 में कोलकाता में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में स्पिनर दानेश कानेरिया पर लगाया था।
यह हैदराबद का बल्लेबाज दुनिया के उन कुछ बल्लेबाजों में शामिल हैं जिन्होंने टेस्ट मैचों में 1000 से अधिक चौके जडे है। लक्ष्मण के नाम पर स्टेन पर छक्का जडने से पहले तक 1,020 चौके दर्ज हैं।
लक्ष्मण ने अपना पहला छक्का अपने 23वें टेस्ट मैच में जिम्बाब्वे के खिलाफ जून 2001 में बुलावायो में लगाया था। उन्होंने यह छक्का मध्यम गति के गेंदबाज ब्रायन वाटाम्ब्वा पर लगाया था।
Courtesy khaskhabar

Sunday, December 19, 2010

0 क्रिकेट के भगवान ने बनाया शतकों का अर्धशतक


Congratulation !
God bless you sachin.


Saturday, June 5, 2010

0 इंडियन प्रीमियर लीग (IPL)



आईपीएल मामले में शरद पवार द्वारा बार-बार सफाई देना,  शरद पवार पर काफी दबाव दिखाई देता है,  मोदी और शरद पवार एक ही बोली बोल रहे हैं| इसका मतलब साफ़ है कि दोनों की आईपीएल मामले में जबर्दस्त सांठ-गांठ है, लगता है कोई राजनितिक धमाका होने वाला है!

Thursday, June 3, 2010

0 बीसीसीआई को मेडल नहीं, माल चाहिए

This article from dainik bhaskar, i like share with myblog readers
क्या होती है देशभक्ति
ओलंपिक एसोसिएशन ऑफ एशिया (ओएए) ने पहली बार एशियाई खेलों में क्रिकेट को जगह देकर इस खेल को बड़ा मान दिया है, लेकिन उसके पास खिलाडि़यों को देने के लिए दाम नहीं है। सो, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की नजर में इस मान का कोई मोल नहीं रहा।




जी हां, बीसीसीआई ने साफ कर दिया है कि इस साल के अंत में चीन में होने वाले एशियाई खेलों में वह क्रिकेट खिलाडि़यों की टीम नहीं भेज सकेगा। बोर्ड का तर्क है कि नवंबर में एशियाड के दौरान खिलाडि़यों का विदेश में खेलने का कार्यक्रम तय हो चुका है।





खेल मंत्री कटाक्ष करते रहें, बीसीसीआई की बला से। उसे तो कमाई होगी, तभी किसी प्रतियोगिता में टीम भेजी जाएगी। एशियाई खेलों में टीम भेज कर बीसीसीआई को क्‍या म‍िलेगा भला? पदक की उसे जरूरत नहीं है। और, कौन जाने कहीं पदक भी कोई और ही देश झटक ले जाए ? नाक बचानी मुश्किल हो जाएगी। मिलना कुछ नहीं, फजीहत पूरी। भला ऐसा जोखिम लेने का क्‍या फायदा? इन खेलों में शामिल होना सम्‍मान की बात होती होगी किसी और के लिए, बीसीसीआई को भला सम्‍मान की क्‍या जरूरत है? उसे तो वैसे ही हर कोई सम्‍मान देता है। जिस क्रिकेट की बदौलत उसकी सत्‍ता चलती है, उसे तो भारत में लोग धर्म मानते हैं। ऐसे में खाली सम्‍मान के लिए खेलने की 'बेवकूफी' कौन करे।

विजय कुमार झा
न्यूज़ एडिटर, भास्कर 

Wednesday, June 2, 2010

0 Asian games

देश के लिए एशियन गेम्स में टीम नहीं भेजेगी BCCI, बीसीसीआई सिर्फ पैसे के पीछे भागती है, एशियन गेम्स प्राइज़ मनी नहीं है इसलिए टीम नहीं भेजने का फैसला किया है।, बड़े बड़े क्रिकेट  खिलाडी और बोर्ड देश के लिय खेलने की बात करते  है. ये सब सिर्फ दिखावा है. 

Saturday, May 8, 2010

0 Lalit modi


पूरी दुनिया ललित मोदी के जिस चेहरे को जानती है, वह चेहरा नकली है. ललित मोदी की असलियत से हम पर्दा उठाएं, इससे पहले यह सवाल करना ज़रूरी है कि इस विवाद की शुरुआत होने तक शरद पवार, विजय माल्या, प्रफुल्ल पटेल, आई एस बिंद्रा, फारुख़ अब्दुल्ला और शिल्पा शेट्टी आईपीएल की सफलता के लिए ललित मोदी की पीठ थपथपा रहे थे. लेकिन मामला गर्म होते ही उनके सबसे अजीज़ दोस्त शाहरुख़ ख़ान ने चुप्पी साध ली. इस पूरे विवाद में शाहरुख ख़ान की ख़ामोशी का राज़ क्या है? क्या शाहरुख़ मोदी के असली चेहरे से वाक़ि़फ हैं या फिर ख़ुद को इस आग से बचाने के लिए एक स्ट्रेट्‌ज़ी के तहत काम कर रहे हैं. ललित मोदी का असली चेहरा यह है कि वह आज दुनिया का सबसे बड़ा सट्टेबाज़ है. दुनिया की 15 सबसे बड़ी सट्टा लगाने वाली कंपनियों में ललित मोदी का हिस्सा है. मतलब यह कि मैच दिल्ली में हो या फिर लंदन या सिडनी में, जिस मैच पर भी सट्टेबाज़ी होती है, ललित मोदी को फायदा ही फायदा होता है. सरकार को इस बात की तहक़ीक़ात करनी चाहिए कि इतना बड़ा सट्टेबाज़ हमारे देश में क्रिकेट की सबसे महत्वपूर्ण संस्था का हिस्सा कैसे बन गया. वे कौन लोग थे जिन्होंने ललित मोदी को बीसीसीआई में अधिकारी बनाने में मदद की. वे कौन लोग हैं जिन्होंने उसे राजस्थान क्रिकेट एसोशिएसन का अध्यक्ष बनाया.
 ललित मोदी का वर्तमान जितना दागदार है, उनका इतिहास उससे भी ज़्यादा रंगीन और काले कारनामों से पटा पड़ा है. ललित मोदी मशहूर उद्योगपति और गॉडफ्रे फिलिप इंडिया कंपनी के मालिक केके मोदी के बेटे हैं. 15 हज़ार करोड़ रुपये के कारोबार वाली यह कंपनी फोर स्न्वायर सिगरेट बनाती है. मोदी बचपन से ही ज़िद्दी और अक्खड़ स्वभाव के थे. उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई अमेरिका में की है जहां वह कई ग़लत आदतों के शिकार हुए. मोदी ड्यूक यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे. इस दौरान ही उन पर ड्रग्स के सेवन का आरोप लगा था. इस वजह से उनके ख़िला़फ मुक़दमा दर्ज़ किया गया और उन्हें सजा के अलावा जुर्माना भी भरना पड़ा था. अमेरिका में हुई बदनामी के बाद वे भारत लौटे. पिता ने उन्हें गॉडफ्रे इंडिया कंपनी में डायरेक्टर बना दिया. लेकिन पिता का हाथ बंटाना उन्हें पसंद नहीं आया. वह शुरुआत से ही क्रिकेट और खेल जगत की चकाचौंध के कायल थे. खेल जगत में घुसने के लिए उन्होंने पैसे का ज़ोर लगाया. टेनिस और क्रिकेट प्रतियोगिताओं के प्रायोजक बने. फिर पूर्व भारतीय विकेटकीपर नयन मोंगिया और चार अन्य खिलाड़ियों के साथ करार किया, जिसके तहत उनके बल्लों पर फोर स्न्वायर का लोगो लगा होता था. इसके बाद उन्होंने भारत में ईएसपीएन के वितरण की ज़िम्मेदारी संभाली, लेकिन मोदी इतने से संतुष्ट नहीं थे. वह शुरू से ही यूरोप के लीग फुटबॉल की तर्ज पर भारत में क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन कराना चाहते थे. आईपीएल जैसे किसी टूर्नामेंट की शुरुआत करना उनकी पुरानी ख्वाहिश थी. इसके लिए वह क्रिकेट प्रशासन की दुनिया में प्रवेश पाने को बेताब थे. उनकी यह बेताबी 2004 में रंग लाई, जब वह राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बनने में कामयाब हुए. इसके बाद उन्हें बीसीसीआई में उपाध्यक्ष, मार्केटिंग के रूप में चुना गया. 2007 में उन्हें आईपीएल के आयोजन के लिए बीसीसीआई की मंजूरी मिली और उन्हें लीग के कमिश्नर पद का ओहदा मिला.

 क्रिकेट के खेल से पैसा बनाने में मोदी की महारत का पहला उदाहरण 2006 में अबूधाबी में भारत-पाकिस्तान सीरीज़ के आयोजन के दौरान देखने को मिला. इस सीरीज़ के ब्रॉडकास्टिंग और मर्केंडाइज़िंग अधिकार उन्होंने पहले से दोगुने दामों पर बेचे. अचानक ही बीसीसीआई की कमाई आसमान छूने लगी. इस काम में उन्हें शरद पवार, आईएस बिंद्रा, एमपी पांडोव के अलावा सुनील गावस्कर और रवि शास्त्री का भी भरपूर सहयोग मिला, लेकिन किसी ने यह नहीं पूछा कि आख़िर इसका राज़ क्या है. फिर इसके बाद आया आईपीएल और मोदी इसके सर्वेसर्वा बने. इसका मक़सद एक ही था, ग्लैमर की चाशनी में लपेटकर क्रिकेट को बाज़ार में पहुंचाना और इस चकाचौंध के पीछे सट्टेबाज़ी का बेजोड़ खेल चलाना. फिल्मी सितारे से लेकर कॉरपोरेट घराने और राजनेता तक आईपीएल एक्सप्रेस में सवार हो गए. उस दौरान शरद पवार बीसीसीआई के अध्यक्ष थे और मोदी को आईपीएल से जुड़े हर मामले में फैसला लेने की पूरी छूट थी. उन्होंने इसी का फायदा उठाया और कई टीमों में हिस्सेदारी ख़रीद ली. यह हिस्सेदारी कहीं बेनामी है तो कहीं उनके रिश्ते-नातेदारों के नाम. राजस्थान रॉयल्स टीम में मोदी के रिश्तेदार के शेयर हैं तो किंग्स इलेवन पंजाब की टीम से वह मोहित बर्मन के माध्यम से जुड़े हैं. मोहित, ललित मोदी के दामाद गौरव बर्मन के भाई हैं. बर्मन, मोदी और आईपीएल के रिश्ते यहीं तक सीमित नहीं हैं. बर्मन आईपीएल के इंटरनेट अधिकार से जुड़ी डील में भी शामिल हैं. मोदी के आर्थिक हित वर्ल्ड स्पोट्‌र्स ग्रुप, निंबस और परसेप्ट कंपनियों से भी जुड़े हैं. 80 करोड़ रुपये की फैसिलिटेशन फीस के भुगतान को लेकर वर्ल्ड स्पोट्‌र्स ग्रुप के साथ हुए समझौते पर आयकर और प्रवर्तन निदेशालय की नज़रें लगी हुई हैं, क्योंकि इसमें फेमा क़ानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है. सूत्रों के मुताबिक़ मोदी ने लीग की टीमों में हिस्सेदारी ख़रीदने के लिए पिछले रास्ते का सहारा लिया. बहामास और मारिशस जैसी जगहों पर ऐसी बेनामी कंपनियां बनाई गईं जिनका पेड अप कैपिटल उनके निवेश से कहीं कम था. शाहरुख़ ख़ान और राज कुंद्रा के साथ नज़दीकी रिश्ते इसमें उनके मददगार बने. मोदी केवल आईपीएल की टीमों और उनके मालिकों से ही नज़दीक नहीं हैं, बल्कि सट्टेबाज़ों से मिली जानकारी के अनुसार ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और श्रीलंकाई टीमों के खिलाड़ियों से भी उनके निकट संबंध हैं और इन टीमों तक उनकी सीधी पहुंच है, जिसके बूते वह मैचों का परिणाम प्रभावित करने में सफल होते हैं. लैडब्रोक्स हो या लंदन या फिर दुबई, मोदी के विश्वस्त सिपहसलारों की फौज इन जगहों पर बैठकर सट्टा लगाती है और वह अपने अंडरवर्ल्ड कनेक्शन की मदद से करोड़ों की कमाई करने में कामयाब होते हैं. केवल तीन साल के अंदर 30 हज़ार करोड़ रुपये के मालिक बने मोदी का इतिहास और वर्तमान ऐसे गोरखधंधों से पटा पड़ा है, लेकिन ताज्जुब की बात है कि आज तक किसी ने इस पर अंगुली नहीं उठाई. आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल में पूर्व खिलाड़ी से लेकर राजनेता और देश के नामी वकील तक शामिल हैं, लेकिन उनका दावा है कि वे मोदी की इन कारगुज़ारियों से अंजान थे. कुछ सदस्यों का तो यह भी कहना है कि कई बार आईपीएल के डीलों की पूरी जानकारी भी उन्हें नहीं दी जाती थी. यदि ऐसा है तो वे इतने दिनों तक चुप क्यों बैठे रहे. आज जब सारी दुनिया मोदी के पीछे पड़ी है, तो इस तरह के बयान देकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश ज़िम्मेदारियों से भागना नहीं तो और क्या है.
 अगर कोई मुक्केबाज़ या वेटलिफ्टर अनजाने में या फिर कोच के झांसे में आकर ग़लती से भी ड्रग्स ले लेता है तो उस खिलाड़ी को आजीवन बैन कर दिया जाता है. मेडल छीन लिए जाते हैं. बेचारे ये ग़रीब खेलों के असहाय खिलाड़ी न्याय की गुहार करते-करते थक जाते हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती. अगर खेल का यही क़ानून है तो यह क्रिकेट पर क्यों नहीं लागू है. अब इस सवाल का जवाब कौन देगा कि कैसे एक ऐसे शख्स को आईपीएल का सर्वेसर्वा बना दिया गया, जिस पर ड्रग्स लेने और बेचने का संगीन आरोप लग चुका हो और जिसके लिए उसे सजा भी मिल चुकी हो
 this article from chauthi duniya newspaper

Friday, May 7, 2010

0 Virender sehwag

बहुत दुःख हुआ विरेंदर सहवाग और उसका परिवार अंग्रेज बनते बनते रह गया, बेचारे  ने बीमारी के बहाने टी-२० वर्ल्ड कप भी कैंसल किया,  सोचा आने वाले नय मेहमान की वजह से पूरा परिवार अंग्रेज  बन जायेंगा ,  परन्तु  BCCI और उसका नय  venture IPL ने इंग्लैंड जाने की इजाजत ही नहीं दी,  बच्चा इंडिया ही में पैदा हो गया,  BCCI  एंड IPL  खुद अरबो  कमाती है, एक बेचारे क्रिक्केटर को विदेश जाने की भी अनुमति नहीं दी. जो इतना गरीब है, खाने के भी लाले पड़े है.  राष्ट्रपति द्वारा दिय मेडल की तो कोई कीमत ही नहीं है. 
वाह  रे indians तुझे सलाम. खाते हों  यहाँ,  और गीत दुसरो के  गाते हो.

स्पेशल
इंग्लैंड के कानून मैं अगर माँ और बाप विदेशी हैं और बच्चा इंग्लैंड मैं पैदा होता है तो पूरी फॅमिली को CITIZIENSHIP मिलती है.  

0 Indian Premier league

IPL में रोज नए खुलासों को देखकर तो ऐसा  लगता है,  हमाम में सारे नंगे है| जब  सुनील गावस्कर, रवि शाष्त्री जैसे क्रिक्केटर  पैसे लेकर अख़बार में  column लिखते है,  तो क्या  IPL बोर्ड में नबाब पटोदी के साथ मिलकर तीनो  मुफ्त में काम कर रहें है?