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Friday, November 4, 2011

0 : दुनिया के हर तानाशाह का हुआ गद्दाफी जैसा हश्र !

पहले मिस्र और अब लीबिया। यह साल दुनिया के दो कुख्यात तानाशाहों के अंत का गवाह बना। मिस्र में चले करीब दो महीने के विद्रोह के बाद राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को पद छोड़ना पड़ा। अब लीबिया पर 42 साल तक हुकूमत चलाने वाले तानाशाह गद्दाफी का अंत हो गया। इनसे पहले भी कई तानाशाहों का यही हश्र हुआ है ऐसे में दुनिया के सभी तानाशाहो के हुए बुरे और खौफनाक अंत 

सद्दाम हुसैन: इराक के इस तानाशाह को दिसंबर, 2003 में अमेरिकी सैनिकों ने एक छोटे से तहखाने से खोज निकाला था। पकड़े जाने पर सद्दाम ने विरोध किए बिना आत्मसमर्पण कर दिया था। 5 नवंबर, 2006 में इराक की विशेष अदालत ने उन्हें मानवता के विरुद्ध अपराध में दोषी करार दिया और फिर फांसी पर चढ़ा दिया गया।

एडोल्फ हिटलर: दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह जर्मनी के एडोल्फ हिटलर ने 1945 में पत्‍नी इवा ब्राउन के साथ अपने बंकर में आत्महत्या कर ली थी। द्वितीय विश्र्वयुद्ध के अंतिम दिनों में जब सोवियत संघ की रेड आर्मी धीरे-धीरे बर्लिन पर अपना घेरा कस रही थी, तो हिटलर ने पकड़े जाने के डर से खुद को खत्म कर लिया था।

बेनिटो मुसोलिनी: हिटलर के प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 27 अप्रैल, 1945 को वह अपनी पत्‍नी क्लारा पेटाकी और साथियों के साथ जान बचाने के लिए स्विटजरलैंड भाग रहे थे, लेकिन उनके ही देश के कम्युनिस्ट अधिकारियों और सैनिकों ने मुसोलिनी और उनके साथियों को गोली से उड़ा दिया था।

निकोलाई चाउसेस्कू: रोमानिया के इस कम्युनिस्ट तानाशाह का अंत भी बहुत बुरा हुआ था। वर्ष 1989 में क्रिसमस के दिन बुखारेस्ट में सेना के बंदूकधारियों ने उसे मौत के घाट उतार दिया था। कई सैनिकों में उसे मारने की होड़ थी। इस वजह से लॉटरी निकालकर यह तय किया गया कि निकोलाई का अंत कौन करेगा?

जोसेफ स्टालिन: इस रूसी तानाशाह ने राजधानी मॉस्को के निकट अपने घर में 5 मार्च, 1953 को अपने बिस्तर में ही दम तोड़ दिया। स्ट्रोक आने के बाद ही उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया था। इस कुख्यात तानाशाह को दो करोड़ लोगों की मौत का जिम्मेदार माना जाता है। अपने शासन का विरोध करने के कारण उन्होंने इन लोगों को मरवाया था।

कर्नल गद्दाफी: गरीबों की फरीयाद को सोने की बंदूक से मसलने और अपने अय्याशी के चलते लीबिया को गर्क में ले जाने वाले इस तानाशाह को 21 अक्‍टूबर को नाटो सेना ने बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। विद्रोहियों के डर से वह अपने गृहनगर सिर्ते में जा छुपा था।

Courtesy अंकुर कुमार श्रीवास्तव