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Saturday, April 9, 2011

0 एकजुट राष्ट्र की जीत का यह मात्र पहला पड़ाव

ईमानदारी जगमगाई। भ्रष्टतंत्र हारा। जनतंत्र जीता। इतनी जल्दी? पलक झपकते? बड़ा आश्चर्य। विचित्र प्रश्न। अनेक शंकाएं। इतना आसान? था क्या? सत्ताधीश झुके। क्या सचमुच? 

निश्चित ही। मांगें मानी। शर्ते स्वीकारीं। समिति बनेगी। दो-दो अध्यक्ष। एक सरकारी। एक सामाजिक। प्रारूप बनेगा। जनभागीदारी से। कानून बनेगा। जनलोकपाल कानून। भ्रष्टतंत्र हारेगा। जनता जीतेगी। 

यहीं ठहरिए। इतना आसान? सतर्क रहिए। सरकार है। स्वार्थ हैं। कारण हैं। सामने अन्ना। अन्ना हजारे। छोटी शुरुआत। विराट बनीं। लाखों लोग। करोड़ों हाथ। गुस्सा उग्र। भावनाएं तेज। बड़े-बड़े एकजुट। उठते-बैठते समर्थन। सरकार सतर्क। मंत्री भौचक। समाजसेवी आए। बुद्धिजीवी जुटे। युवा डटे। राष्ट्र जगा। सारा राष्ट्र। सच्च मन। अच्छी सोच। पवित्र उद्देश्य। 

सत्ताधीश हिले। कुर्सी कांपी। तेज हरकत। गजब दिमाग। बड़ा दिखावा। चेहरे बदले। पहने मुखौटे। ओढ़े लबादे। आश्वासन के। कागज के। मंजूरी के। उदारता के। राष्ट्रहित के। बताई जीत। देश की। जनता की। लिया श्रेय। किया तमाशा। बजाई तालियां। सतर्क रहें। आंखें खोलें। सावधानी रखें। जीत नहीं। पड़ाव है। झुके कौन? रुके हैं। रोका है। उफान को। सैलाब को। क्रोध को। 

Courtesy Source: Kalpesh Yagnik  

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