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Tuesday, February 8, 2011

0 थामस ने सरकार ओर विप्क्ष को आईना दिखाया !

थामस ने बचाव में ली दागी सांसदों की आड़
सीवीसी पद पर नियुक्ति को सही ठहरा रहे पीजे थामस ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपने बचाव में दागी सांसदों का सहारा लिया। थामस की ओर से दलील दी गई कि सिर्फ आरोप पत्र दाखिल होने के आधार पर न्यायालय उन्हें पद से नहीं हटा सकता। कानून में कुछ ऐसे अस्पष्ट क्षेत्र हैं जहां इसे अयोग्यता नहीं माना जाता। 28 फीसदी सांसद गंभीर मामलों में आरोपित हैं और वे लोग कानून बनाते हैं क्योंकि जन प्रतिनिधित्व कानून में उन्हें अयोग्य नहीं माना गया है। इस मामले में गुरुवार को फिर सुनवाई होगी। थामस की ओर से उन्हें पद से हटाए जाने की मांग का विरोध करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कहा कि न्यायालय अधिकार पृच्छा रिट (रिट को-वारंटो) के तहत थामस को पद से हटाने का आदेश नहीं दे सकते क्योंकि इस रिट में आदेश तभी दिया जा सकता है जबकि कानून में दिए गए किसी नियम का उल्लंघन होता हो। आरोप पत्र दाखिल होने से वे ऊंचे पद पर नियुक्ति के लिए अयोग्य नहीं हो जाते। कानून में कुछ ऐसे अस्पष्ट क्षेत्र हैं जिसमें इसे अयोग्यता नहीं माना जाता। उन्होंने कहा कि 535 में 153 सांसदों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। 54 पर तो हत्या आदि के गंभीर आपराधिक मामले हैं। इसके बावजूद ये लोग कानून बनाते हैं क्योंकि जन प्रतिनिधित्व कानून में उन्हें अयोग्य नहीं माना गया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाडि़या, न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन व न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ कर रही है। वेणुगोपाल ने कहा कि उच्च स्तरीय समिति ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद उन्हें नियुक्त किया है। कोर्ट नियुक्ति की न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकता। उनकी दलील पर कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को अदालत दोषी ठहराती है और उच्च स्तरीय समिति यह जानते हुए या इस तथ्य से अपरचित रहते हुए व्यक्ति की नियुक्ति कर देती है तो क्या कोर्ट उसकी समीक्षा नही कर सकता। पीठ ने यह भी कहा कि जब वे संवैधानिक उपबंधों की समीक्षा कर सकते हैं तो संवैधानिक नियुक्ति की क्यों नहीं। पीठ ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि इस मामले में किस मुद्दे पर चर्चा हुई और किस पर नहीं लेकिन वे भविष्य के लिए कानून तय करने पर विचार कर रहे हैं


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