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Friday, July 30, 2010

1 7 सबसे नाकाम देश, जिनसे बाकी विश्व परेशान है

ये वे देश हैं जो अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए लड रहे हैं. ये वे देश हैं जहाँ के नागरिकों के पास या तो कोई अधिकार नहीं है या फिर बेहद सिमित हैं. तथा ये वे देश हैं जहाँ जीवन खतरों से भरा है और वे अन्य देशों के लिए भी खतरा बने हुए हैं. इनमें से 5 देश अफ्रीका के हैं तो 2 एशिया के. ये दुनिया के 7 सबसे नाकाम देश हैं – 

सोमालिया 
फोरेन पॉलिसी पत्रिका के अनुसार सोमालिया पिछले 3 साल से सबसे नाकाम देशों की सूचि में सबसे ऊपर बना हुआ है. यह देश दशकों से राजनितिक और सामाजिक अंतर्द्वंद से लडता आ रहा है. आज इस देश मे शासन व्यवस्था जैसी कोई चीज नहीं रह गई है और सत्ता की कमान ऐसे इस्लामी गुटों के पास हैं जो देश मे अराजकता और आतंक फैला रहे हैं. अल शबाब ऐसा ही एक संगठन है. एक अन्य संगठन हिज्बुल इस्लाम है. यह दोनों गुट आपस में संघर्ष करते रहते हैं, परंतु उनका मुख्य उद्देश्य आम जनता पर कट्टर इस्लामी कानून लादना है. हाल ही में विश्वकप फुटबॉल देख रहे कुछ लोगों को हिज्बुल इस्लाम के चरमपंथियों ने मार डाला था. सोमालिया के समुद्री लुटेरे वहाँ के समुद्री तट के पास से गुजरने वाली जहाजो पर हमला कर उसे लूट लेते हैं. लूट के पैसों से हथियार और मादक पदार्थ खरीदे जाते हैं. सोमालिया पृथ्वी का 'नर्क' है. 

चाड
अफ्रीकी महाद्विप के बीचों बीच स्थित चाड दो समस्याओं से जूझ रहा है. एक तरफ पडोसी सुडान की समस्याओं से ग्रसित सुडानी लोग चाड में दाखिल हो रहे हैं और वहाँ शरणार्थी की तरह रहना चाहते हैं, दूसरी तरफ चाड के शासक इदरिस डेबी के दमनकारी शासन से आम जनता त्रस्त हो चुकी है. इदरिस ने अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने में कोई कोताही नहीं बरती है और लगभग सभी बडे विपक्षी नेता जेलों में बंद है. एक अनुमान के अनुसार चाड की जेलों में 2 लाख से अधिक जननेता और कार्यकर्ता कैद हैं. चाड में लोगों को नहीं पता कि नागरिक अधिकार क्या होता है.

सुडान 
सुडान दशकों से गृहयुद्ध से जूझ रहा है. 1956 में इजिप्त और ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से यह देश गृहयुद्ध में फंसा हुआ है. सुडान में प्राकृतिक जैविक ईंधन की प्रचूर मात्रा उपलब्ध है और यही लड़ाई की मूल वजह भी है. दक्षिण सुडान के लोग अपने लिए अलग देश की मांग कर रहे हैं और इसके लिए देश में जनवरी 2011 तक जनमत लिया जाना है. बहुत सम्भावना है कि दक्षिण सुडान अलग हो जाए और वर्तमान राष्ट्रपति हसन अल-बशीर वहाँ चले जाएँ. दक्षिण सुडान में ही तेल से सबसे अधिक कुँए भी हैं. 

जिम्बाब्वे 
1980 से जिम्बाब्वे पर एकछत्र राज कर रहे राष्ट्रपति रोबर्ट मुगाबे की तानाशाही प्रवृति और खराब शासन की वजह से जिम्बाब्वे दुनिया की सबसे नाकाम अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है. एक समय तो हालात यहाँ तक खराब हो गए थे कि एक पैकेट ब्रेड की कीमत भी कई लाख हो गई थी. परंतु अब विपक्षी नेता मोर्गन स्वानगिराई के साथ मुगाबे का समझौता होने के बाद से स्थिति में कुछ सुधार आया है. स्वानगिराई को प्रधानमंत्री बनाया गया है. मुगाबे हालाँकि अभी भी तानाशाही प्रवृति से दूर नहीं हुए हैं परंतु अब कुछ निर्णय स्वानगिराई के द्वारा भी लिए जाते हैं. देश की अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार आया है और दोनों नेता जल्द चुनाव कराने को सहमत है. परंतु ऐसा कब होता है यह तय नहीं है.

कोंगो
कोंगो दुनिया के सबसे दुर्भाग्यशाली देशों में से एक कहा जा सकता है. जो एक चीज कोंगो को दुनिया का सबसे अमीर और विकसित देश बना सकती थी वही कोंगो के लिए मुसीबत साबित हुई है. कोंगो के पास प्राकृतिक सम्पदाओं का अम्बार है. वहाँ कई प्रकार के पोषक तत्व, पदार्थ, प्राकृतिक सम्पदाएँ पाई जाती हैं. पूरे देश में खानों का जाल बिछा हुआ है, परंतु दिक्कत यह है कि कोई केन्द्रीय नैतृत्व नहीं है और ना ही कोई नियंत्रण है. कोंगो की प्राकृतिक सम्पदाओं के लालच में आकर सबसे पहले बैल्जियम ने वहाँ पर कॉलोनियाँ बसाई, इसके बाद अन्य देशों ने भी कब्जा जमाने की कोशिश की और अब घरेलू सेना और आतंकी समूह खानों पर कब्जा जमाए हुए हैं. खानों में काम करने वाले मजदूर नर्क समान जीवन जीते हैं और अन्य लोगों का भी यही हाल है. 1998 के बाद से वहाँ 50 लाख से अधिक लोग मारे गए हैं. कुछ गोलियों से तो कुछ बिमारियों से. 

अफगानिस्तान
अफगानिस्तान के हालात के बारे में सभी जानते हैं. यह देश कभी स्वर्ग के समान माना जाता था. वह प्रगतिशील था और वहाँ के लोग खुले विचारों वाले थे. परंतु अंदरूनी कलह और पडोसी देशों के लालच की वजह से अफगानिस्तान आज दुनिया के सबसे नाकाम देशों की सूचि में शामिल हो गया है. पहले रूस और फिर पाक समर्थित कट्टर इस्लामी संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान की मूल पहचान को ही मिटा दिया है. आज यह देश पश्चिमी सेना के नियंत्रण मे है. राष्ट्रपति हामिद करजई की सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है और उनका शासन वस्तुत: काबुल की सीमा तक ही है. 

इराक 
निरंकुश शासक सद्दाम हुसैन के खात्मे के बाद भी इराक की स्थिति में कुछ खास बदलाव नहीं आया है. इराक में कट्टरपंथियों के हमले जारी हैं और देश के हालात में कोई खास बदलाव नहीं आया है. "तेल की लड़ाई" में फंसे हुए देश के नागरिकों की हालत आज भी खराब है. इराक पर अमेरिकी और मित्र सेनाओं के हमलों के बाद से करीब 20 लाख लोग इराक छोड़कर जा चुके हैं.
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